प्रशांत किशोर ने मंत्री अशोक चौधरी के 100 करोड़ के मानहानि नोटिस का जवाब दिया है। PK ने नोटिस को निराधार बताते हुए चौधरी के परिवार पर संदिग्ध फंड से संपत्ति खरीदने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसे जनहित में सवाल उठाने का लोकतांत्रिक अधिकार कहा।
पटनाः जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी द्वारा भेजे गए 100 करोड़ रुपये की मानहानि के नोटिस का कड़ा जवाब दिया है। PK की ओर से अधिवक्ता देवाशीष गिरि ने विस्तृत लिखित जवाब भेजते हुए इस नोटिस को पूरी तरह से निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया।
शांभवी चौधरी के नाम पर खरीदी संपत्तियों का जिक्र
जन सुराज पार्टी के प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने बताया कि जवाब में विस्तार से उन जमीनों और इमारतों का ब्यौरा दिया गया है, जो कथित तौर पर चौधरी की पत्नी, बेटी व वर्तमान सांसद शांभवी चौधरी और दामाद के परिवार के नाम पर खरीदी गईं। आरोप है कि इन सौदों में भुगतान के तरीकों और घोषित रकम में गंभीर विसंगतियां मिली हैं। कई संपत्तियों की रजिस्ट्री बाजार मूल्य से काफी कम कीमत दिखाकर कराई गई है।
किशोर ने कहा कि उदाहरण के तौर पर 2021 में योगेंद्र दत्त द्वारा शांभवी चौधरी को बेचे गए प्लॉट की डीड (संख्या-2705) में 34.14 लाख रुपये चेक, डीडी और कैश के माध्यम से भुगतान का उल्लेख है। लेकिन यह जानकारी नहीं है कि रकम किस चेक और किस डीडी से दी गई। उस वक्त शांभवी की उम्र 23 साल थी और वे किसी प्रोफेशन में नहीं थीं। बाद में जून 2024 में उनके सांसद बनने के बाद अप्रैल 2025 में 25 लाख रुपये का और भुगतान किया गया, जिसे उनकी अपनी आय मानना मुश्किल है क्योंकि सांसद के तौर पर उनकी आय इससे कम थी।
जनहित में उठाए गए सवाल, लोकतांत्रिक अधिकार
PK की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि ये आरोप दरअसल जनहित में उठाए गए सवाल हैं। लोकतंत्र में जनता और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली की समीक्षा करने का अधिकार है। इस प्रक्रिया को दबाने के लिए मानहानि का नोटिस भेजना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
चौधरी के राजनीतिक अतीत पर भी निशाना
जवाब में अशोक चौधरी के राजनीतिक करियर पर भी सवाल उठाए गए। कहा गया कि वर्ष 2000 में कांग्रेस से विधायक बनने के बाद चौधरी ने बाद में उसी कांग्रेस के विधायकों के साथ राजद को समर्थन देकर मंत्री पद हासिल किया। यह उनके अवसरवाद और राजनीतिक चरित्र को उजागर करता है। कांग्रेस से निलंबन के बाद जदयू में शामिल होना उनकी दल-बदल वाली राजनीति का उदाहरण बताया गया।
सियासत में गरमी
PK के इस पलटवार से बिहार की सियासत और गर्म हो गई है। जहां जदयू नेता इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं, वहीं PK समर्थक इसे ‘सच्चाई उजागर करने का अभियान’ बता रहे हैं। आने वाले दिनों में इस विवाद का राजनीतिक तापमान और चढ़ने की पूरी संभावना है।
