बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस पार्टी ने अपनी चुनावी तैयारी तेज कर दी है। प्रियंका गांधी 26 सितंबर को पूर्णिया में जनसभा करेंगी। सीमांचल क्षेत्र में समर्थन जुटाकर पार्टी महागठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी अभियान को तेज़ कर दिया है। पार्टी की राष्ट्रीय नेता प्रियंका गांधी 26 सितंबर को पूर्णिया में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगी। इसे कांग्रेस की बिहार में वापसी की बड़ी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी का मानना है कि सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम, पिछड़ा वर्ग और युवा मतदाताओं का समर्थन हासिल कर राजनीतिक समीकरण को अपने पक्ष में मोड़ा जा सकता है।
कांग्रेस की रणनीति को मिलेगी धार
कांग्रेस की चुनावी रणनीति को धार देने के लिए यह जनसभा अहम साबित होगी। पार्टी पहले ही ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ नामक अभियान शुरू कर चुकी है, जिसके तहत 5 करोड़ हस्ताक्षर जुटाकर सत्ताधारी एनडीए के खिलाफ जनमत तैयार किया जा रहा है। कांग्रेस का उद्देश्य चुनाव आयोग और राष्ट्रपति को हस्ताक्षर सौंपकर चुनावी माहौल में भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाना है। प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कार्यकर्ताओं को गांव-गांव जाकर लोगों को जोड़ने का निर्देश दिया है।
इलेक्शन कमिटी का गठन
कांग्रेस की बिहार इलेक्शन कमेटी का गठन कर दिया गया है, जिसकी पहली बैठक 18 सितंबर को पटना में होगी। इसमें उम्मीदवारों का चयन, सीट शेयरिंग और प्रचार योजना तय की जाएगी। पार्टी इस बार 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। महागठबंधन में शामिल दलों के साथ समन्वय कर कांग्रेस अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।
भारी भीड़ जुटने का दावा
पूर्णिया में प्रस्तावित जनसभा को पार्टी तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ के जवाब के रूप में पेश कर रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सीमांचल क्षेत्र में सामाजिक न्याय, शिक्षा, रोजगार और महंगाई जैसे मुद्दों पर जनसमर्थन जुटाकर एनडीए की चुनावी रणनीति को चुनौती दी जाएगी। पार्टी के नेताओं ने दावा किया है कि जनसभा में भारी भीड़ जुटेगी और यह कांग्रेस के संगठन को नई ऊर्जा देगी।
चुनाव में प्रचार को मिलेगा बल
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस का यह कदम बिहार की सियासी जंग में विपक्ष को नई दिशा देगा। प्रियंका गांधी की उपस्थिति से पार्टी को न सिर्फ प्रचार में बल मिलेगा बल्कि यह संदेश भी जाएगा कि कांग्रेस बिहार में जनता से सीधे संवाद कर रही है। वहीं एनडीए के लिए यह जनसभा एक बड़ी चुनौती बन सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां सत्ता विरोधी भावना पहले से मौजूद है।
कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट है—संगठन को मजबूत करना, जनसमर्थन जुटाना और बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाना। अब देखना यह है कि पूर्णिया की जनसभा से पार्टी कितनी दूरी तय कर पाती है और क्या यह बिहार में उसकी वापसी की राह आसान करेगी। चुनावी मुकाबला अब और दिलचस्प होता जा रहा है।
