2025 के रघुनाथपुर विधानसभा चुनाव में एक और राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला। राजद के ओसामा साहब ने इस अस्थिर विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल करके सबको चौंका दिया। मतदाताओं ने उन्हें स्पष्ट समर्थन दिया और इस बार रघुनाथपुर में सत्ता का समीकरण बदल गया।

Raghunathpur Assembly Election 2025: रघुनाथपुर विधानसभा सीट पर हर चुनाव में बदलते राजनीतिक रुझानों के लिए जानी जाती है। इस साल 2025 में आरजेडी से ओसामा साहेब ने अपनी जीत हासिल कर सबको चौंका दिया है।

पिछले तीन विधानसभा चुनावों का विवरण

2010 रघुनाथपुर विधानसभा चुनाव

  • विजेता: विक्रम कुंवर (BJP) - 33,474 वोट
  • दूसरे स्थान पर: अमरनाथ यादव (CPI(ML)(L)) - 18,362 वोट
  • वोट अंतर: 15,112

नोट: भाजपा ने NDA की लोकप्रियता और जातीय संतुलन के दम पर जीत बनाई।

2015 रघुनाथपुर विधानसभा चुनाव

  • विजेता: हरिशंकर यादव (RJD) - 61,042 वोट
  • दूसरे स्थान पर: मनोज कुमार सिंह (BJP) - 50,420 वोट
  • वोट अंतर: 10,622

नोट: महागठबंधन की लहर और यादव वोट बैंक ने RJD की जीत में अहम भूमिका निभाई।

2020 रघुनाथपुर विधानसभा चुनाव

  • विजेता: हरिशंकर यादव (RJD)- 67,757 वोट
  • दूसरे स्थान पर: मनोज कुमार सिंह (LJP)- 49,792 वोट
  • वोट अंतर: 17,965

नोट: राजद ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए भाजपा और अन्य प्रतिद्वंदियों को भारी अंतर से हराया।

रघुनाथपुर का सामाजिक और जातीय समीकरण

रघुनाथपुर विधानसभा में राजपूत मतदाता सबसे अधिक हैं और ये भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में आते हैं। यादव समुदाय RJD का कोर वोट बैंक है। इसके अलावा दलित, कुशवाहा, मुसलमान और अति पिछड़ा वर्ग भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कुल मतदाता लगभग 3,15,216 हैं, जिसमें पुरुष 1,63,105, महिला 1,52,094 और अन्य 17 मतदाता हैं।

वर्तमान विधायक: हरिशंकर यादव

हरिशंकर यादव के खिलाफ 3 आपराधिक मामला चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में दर्ज है। उनकी संपत्ति 71 लाख रुपए है और कर्जा 2 लाख रुपए का है। उनके पास कोई शैक्षिक डिग्री नहीं है। वो सिर्फ साक्षर हैं।

2025 की संभावनाएं

2025 में रघुनाथपुर सीट पर BJP और RJD के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। भाजपा के मनोज कुमार सिंह अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेंगे, जबकि राजद के हरिशंकर यादव या कोई नया चेहरा चुनौती दे सकता है। मुस्लिम और यादव वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभाएगा।

रघुनाथपुर विधानसभा की चुनावी खासियत

  • हर चुनाव में जातीय संतुलन और स्थानीय मुद्दे निर्णायक रहे हैं।
  • सीट पर कोई स्थायी विजेता नहीं, जीत उन्हीं को मिलती है जो रणनीति और वर्गीय संतुलन साध पाते हैं।
  • BJP और RJD का मुकाबला हर बार कांटे का होता है।