बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में 64.66% का रिकॉर्ड मतदान हुआ। बाहुबली प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी मतदाताओं ने निडर होकर वोट डाले, जो डर की राजनीति के कमजोर पड़ने का संकेत है। इससे इन सीटों पर मुकाबला कड़ा हो गया है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 121 सीटों पर रिकॉर्डतोड़ 64.66% मतदान दर्ज किया गया है, जिसने राज्य के 74 साल के लोकतांत्रिक इतिहास के सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। लेकिन इस चरण की सबसे बड़ी राजनीतिक कहानी यह नहीं, बल्कि वह निर्भीकता है जिसके साथ मतदाताओं ने दशकों से दहशत और दबाव के लिए बदनाम रही हाई-प्रोफ़ाइल सीटों पर वोट डाले हैं।

जिन सीटों पर सामान्यत: तनाव की आशंका रहती थी—जैसे मोकामा, दानापुर, और रघुनाथपुर—वहाँ भी शांतिपूर्ण और उत्साहपूर्ण मतदान दर्ज हुआ है। यह घटनाक्रम बिहार की बढ़ती राजनीतिक परिपक्वता और सुशासन के प्रति मतदाताओं के बढ़ते भरोसे का स्पष्ट संकेत है।

दबंगों के क्षेत्रों में उत्साह: 'डर की राजनीति' का अंत

इस चरण में अनंत सिंह, सूरजभान सिंह, रीतलाल यादव, हुलास पांडेय, ओसामा शहाब और शिवानी शुक्ला जैसे नाम चर्चा में रहे। इन सीटों पर उच्च मतदान प्रतिशत यह सिद्ध करता है कि विरोधी खेमे के समर्थक भी अब खुलकर वोट डालने आ रहे हैं।

  • बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में कई सीटों पर बाहुबली उम्मीदवारों के होने के बावजूद मतदाताओं ने निर्भीक होकर भारी संख्या में वोट डाले, जिससे इन क्षेत्रों में मुकाबला कड़ा हो गया।
  • मोकामा सीट, जो JDU के अनंत सिंह और RJD की वीणा देवी के बीच सीधे मुकाबले का अखाड़ा बनी, में 62.16% मतदान दर्ज किया गया। यह उच्च मतदान प्रतिशत स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि किसी एक गुट का दबाव काम नहीं आया, और यहाँ दोनों पक्षों के बीच कड़ा और बराबरी का संघर्ष देखने को मिला।
  • इसके बाद लालगंज सीट पर मुन्ना शुक्ला की बेटी और युवा उम्मीदवार शिवानी शुक्ला ने युवाओं और महिलाओं को आकर्षित किया, जिसके परिणामस्वरूप 60.17% वोटिंग हुई। यह सक्रियता पारंपरिक दबंगई की राजनीति से अलग, युवा और महिला शक्ति पर जोर देती है।
  • ब्राह्मपुर सीट पर, बाहुबली छवि वाले उम्मीदवार हुलास पांडेय की उपस्थिति में भी मतदाताओं ने बिना डर के बूथ तक पहुँचकर 58.00% मतदान किया, जो यह दर्शाता है कि मुकाबला उम्मीद से ज़्यादा गरमा गया है और किसी के लिए भी आसान जीत नहीं होगी।
  • वहीं, दानापुर सीट पर RJD के रीतलाल यादव (जिनके स्थान पर उनकी बेटी श्वेता सिन्हा प्रचार कर रही थीं) और बीजेपी के दिग्गज रामकृपाल यादव के बीच सीधी टक्कर थी। यहाँ 55.27% शांतिपूर्ण मतदान हुआ, जिससे यह संकेत मिला कि मतदाताओं ने व्यक्तिगत छवि के बजाय विकास और पार्टी के आधार पर वोट किया।
  • अंत में, सिवान की संवेदनशील रघुनाथपुर सीट पर, दिवंगत शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब की राजनीतिक विरासत का पहला चुनाव था, जहाँ सुरक्षा के सख्त इंतज़ामों के बीच 51.18% मतदान हुआ। यह वोटिंग दर्शाती है कि युवा मतदाताओं के लिए यह सीट अब केवल विरासत की नहीं, बल्कि भविष्य के मुद्दों पर भी केंद्रित है।