बिहार चुनाव 2025 में भोजपुरी सितारों की एंट्री ने मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। पवन सिंह, खेसारी लाल और रितेश पांडे तक… कौन बदल पाएगा स्टारडम को वोट बैंक में?

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल अभी भले ही आधिकारिक रूप से न बजा हो, लेकिन प्रदेश की राजनीति पहले से ही गरमा चुकी है। चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा नहीं की है, फिर भी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियाँ तैयार करनी शुरू कर दी हैं। इस बार का चुनाव कई मायनों में खास माना जा रहा है क्योंकि सियासी मैदान में नेताओं के साथ-साथ भोजपुरी सिनेमा के बड़े सितारे भी अपनी किस्मत आज़माने को तैयार हैं।

पहले से सक्रिय भोजपुरी चेहरे

भोजपुरी इंडस्ट्री से जुड़े कई कलाकार पहले से ही राजनीति में सक्रिय हैं। रवि किशन, मनोज तिवारी और दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' जैसे नाम बीजेपी के बड़े चेहरों में गिने जाते हैं। रवि किशन गोरखपुर से लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं। मनोज तिवारी दिल्ली में तीन बार सांसद रह चुके हैं और 2024 में कन्हैया कुमार को हराकर बड़ी जीत दर्ज की। निरहुआ (दिनेश लाल यादव) आजमगढ़ से सांसद बनकर बीजेपी की पहचान को और मजबूत कर चुके हैं।

नए चेहरे और नई उम्मीदें

  • बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कई नए चेहरे उतर सकते हैं। जैसे कि पवन सिंह, जिन्होंने काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और हार गए थे, अब विधानसभा चुनाव में निर्दलीय या किसी छोटे दल के साथ उतर सकते हैं। उनकी पत्नी ज्योति सिंह ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है।
  • रितेश पांडे, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से जुड़ चुके हैं। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था सुधारने को अपनी प्राथमिकता बताया है।
  • खेसारी लाल यादव की एंट्री पर भी सस्पेंस बरकरार है। अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि वे सपा का समर्थन कर सकते हैं या किसी सीट से खुद मैदान में उतर सकते हैं।

पहले से जमे-जमाए सियासी कलाकार

विनय बिहारी, जो गायक से नेता बने, पहले से ही बीजेपी के विधायक हैं और चौथी बार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। उनका रिकॉर्ड बताता है कि उनकी जमीनी पकड़ मजबूत है।

भोजपुरी स्टार्स का वोट बैंक?

भोजपुरी सितारों का जनता पर गहरा असर है। उनकी फिल्मों और गानों की लोकप्रियता अक्सर उन्हें “जनता का अपना चेहरा” बना देती है। यही वजह है कि राजनीतिक दल उन्हें वोट बैंक में बदलने की कोशिश करते हैं। लेकिन राजनीति केवल स्टारडम पर नहीं टिकी होती। जीत के लिए संगठन की मजबूती, जातीय समीकरण और क्षेत्रीय मुद्दों की समझ भी उतनी ही जरूरी है।

चुनावी समीकरण

2025 का चुनाव इस बात का गवाह बनेगा कि क्या भोजपुरी सितारे अपनी स्टारडम को असली वोटों में बदल पाएंगे या फिर उन्हें जनता सिर्फ मंच और पर्दे तक ही पसंद करती है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन कलाकारों की लोकप्रियता वोट दिलाने में मदद कर सकती है, लेकिन विधानसभा तक पहुंचने के लिए उन्हें अपने क्षेत्र में मजबूत जमीनी पकड़ और सक्रिय संगठन की भी आवश्यकता होगी।