RJD से निष्कासित तेज प्रताप यादव ने स्वाभिमान का हवाला देकर पार्टी में लौटने से इनकार किया है। वह अपनी पार्टी JJD से महुआ में चुनाव लड़ रहे हैं और तेजस्वी की CM दावेदारी पर भी सवाल उठा रहे हैं, जिससे पारिवारिक कलह उजागर हुई है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपने राजनीतिक गढ़ महुआ से एक ऐसा बयान दिया है, जिसने लालू परिवार के भीतर चल रहे सियासी मतभेदों को एक निर्णायक मोड़ दे दिया है। जनशक्ति जनता दल (JJD) के प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे तेज प्रताप ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से बातचीत में सीधे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को चुनौती देते हुए कहा, "हम मरना कबूल करेंगे लेकिन वापस उस पार्टी (आरजेडी) में नहीं जाएंगे। मेरे लिए मेरा स्वाभिमान सबसे बड़ी चीज़ है। चाहे कोई कितना भी बड़ा पद दे दें, मैं अब वहां नहीं जाऊंगा।" यह तीखा बयान इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ महीने पहले ही उन्हें पारिवारिक विवादों के चलते RJD से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था, जिसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों भाइयों के बीच की राजनीतिक खींचतान अब 'दरार' नहीं, बल्कि एक स्थायी खाई बन चुकी है।

छोटे भाई तेजस्वी पर तंज और सीएम पद का दाँव

महुआ में चुनाव प्रचार करते हुए तेज प्रताप ने सिर्फ RJD को ही नहीं, बल्कि महागठबंधन के घोषित मुख्यमंत्री चेहरे तेजस्वी यादव पर भी परोक्ष रूप से निशाना साधा। RJD प्रत्याशी मुकेश रोशन को उन्होंने कोई प्रतिद्वंदी मानने से ही इनकार कर दिया। मुख्यमंत्री पद के सवाल पर उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री तो जनता चुनती है, पार्टी नहीं। यह अधिकार जनता जनार्दन के पास है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब तक वे RJD में थे, तब तक उन्होंने तेजस्वी को सीएम बनने का आशीर्वाद दिया था, लेकिन अब वह सिर्फ छोटे भाई के रूप में आशीर्वाद ही दे सकते हैं।

राजनैतिक पंडितों के अनुसार तेज प्रताप यक यह बयान साफ करता है कि जो कभी खुद को "लालू का उत्तराधिकारी" मानते थे, अब छोटे भाई की दावेदारी को खुले तौर पर जनता के फैसले के अधीन बताकर अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने मुस्कुराते हुए अपने पुराने "सुदर्शन चक्र" वाले बयान को वापस लिया, जो उनके बागी तेवरों में एक नरम मोड़ दिखाता है।

लालू का बेटा अब जनता का सेवक

RJD से निष्कासित होने के बाद, तेज प्रताप यादव ने खुद को 'जनता का सेवक' और 'आत्मसम्मान की राजनीति' करने वाले नेता के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया है। उनका पूरा चुनावी अभियान अब धर्म, योग और अध्यात्म के इर्द-गिर्द घूम रहा है, जहां उनकी सभाओं में सनातन संस्कृति के पोस्टर और कृष्ण-राधा की तस्वीरें दिखती हैं। उनकी पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) इसी नए राजनीतिक दर्शन का मंच है।

RJD और परिवार के अलावा, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला बोला और मोतिहारी में चीनी मिल न खुलने के पुराने वादे को लेकर निशाना साधा। इस बार तेज प्रताप की लड़ाई सिर्फ एक सीट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लालू परिवार के भीतर राजनीतिक अस्तित्व की एक भावनात्मक और स्वाभिमान से भरी लड़ाई है, जिसका फैसला 14 नवंबर को महुआ की जनता करेगी।