दुलारचंद यादव हत्याकांड में जेल में बंद विधायक अनंत सिंह की जमानत पर सुनवाई होगी। उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए इसे राजनीतिक साजिश कहा है। जेल से चुनाव जीतने के बाद उनके शपथ ग्रहण पर अनिश्चितता बनी हुई है।

मोकामाः बहुचर्चित दुलारचंद यादव हत्याकांड में जेल में बंद मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की जमानत याचिका पर गुरुवार को पटना सिविल कोर्ट में सुनवाई होगी। यह सुनवाई इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि सवाल यह उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण वाले दिन ही अनंत सिंह को जेल से बाहर आने का रास्ता मिल जाएगा।

अनंत सिंह ने याचिका में क्या किया दावा

अनंत सिंह ने अपनी जमानत याचिका में खुद को इस मामले में पूरी तरह निर्दोष बताया है। उनका कहना है कि हत्याकांड में उनका न कोई प्रत्यक्ष और न ही कोई अप्रत्यक्ष संबंध है। उनका आरोप है कि पीड़ित पक्ष ने राजनीतिक छवि खराब करने के लिए झूठा मामला गढ़ा है। याचिका के अनुसार दोनों पक्षों के राजनीतिक काफिले चुनाव प्रचार के दौरान आमने-सामने आए थे, जिससे केवल मौखिक विवाद हुआ। कोई साजिश या पहले से तय योजना नहीं थी।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का हवाला

अनंत सिंह ने कोर्ट को बताया है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में स्पष्ट है कि दुलारचंद यादव की मौत गोली से नहीं, बल्कि भारी चोट लगने की वजह से हुई है। उनका कहना है कि उनके खिलाफ न कोई हथियार बरामद हुआ और न ही कोई आपत्तिजनक वस्तु। अनंत सिंह ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद उन्होंने जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग दिया है। उनका आरोप है कि राजनीतिक दबाव में उनकी गिरफ्तारी की गई, जबकि घटना से उनका कोई सीधा संबंध साबित नहीं हुआ।

क्या है पूरा मामला?

30 अक्टूबर 2025 को मोकामा के घोसवरी थाना क्षेत्र के बसावनचक में दुलारचंद यादव की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। दुलारचंद RJD नेता थे और जनसुराज के प्रत्याशी के लिए प्रचार कर रहे थे। इस घटना के बाद 1 नवंबर की रात पुलिस ने अनंत सिंह को गिरफ्तार किया था और अगले दिन उन्हें बेऊर जेल भेज दिया गया।

चुनाव जीते, लेकिन शपथ लटकी

मोकामा सीट से जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह ने इस बार 28,206 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। अनंत सिंह को 91,416 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर 63,210 वोटों के साथ बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी राजद प्रत्याशी वीणा देवी रहीं। अब जीत के बाद भी वे जेल में हैं, ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि अनंत सिंह शपथ कैसे लेंगे?

जेल में बंद विधायक शपथ कैसे लेते हैं?

भारतीय संविधान के आर्टिकल 188 के अनुसार, किसी भी विधायक को सदन में बैठने से पहले शपथ लेना जरूरी है। शपथ राज्यपाल या राज्यपाल द्वारा नामित व्यक्ति के सामने ली जाती है। जेल में बंद विधायक दो तरीकों से शपथ ले सकते हैं, पहला जमानत पर रिहा होकर और दूसरा कोर्ट द्वारा दी गई पैरोल पर बाहर आकर।

क्या शपथ लेने की कोई समय सीमा है?

दिलचस्प बात है कि शपथ लेने की कोई निश्चित समय सीमा नहीं है। विधायक 6 महीने के भीतर कभी भी शपथ लेकर सदन का हिस्सा बन सकते हैं। हालांकि, शपथ से पहले और बाद दोनों चरणों में सदन की कार्यवाही में शामिल होने पर रोक लगी रहेगी क्योंकि वे जेल में बंद हैं।