बिहार का सीमांचल क्षेत्र 24 सीटों और 35-67% मुस्लिम आबादी के कारण चुनावी रूप से अहम है। इस बार AIMIM और जनसुराज ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। मुस्लिम वोटों के बंटने से NDA को फायदा हो सकता है, जो सत्ता का समीकरण तय करेगा।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होने वाला है। इस चरण में सबसे ज्यादा ध्यान जिस इलाके पर है, वह है सीमांचल। किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार, इन चार जिलों को मिलाकर सीमांचल कहा जाता है। यह क्षेत्र सिर्फ भौगोलिक रूप से नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ की जनसांख्यिकी चुनाव के पूरे समीकरण को बदल देती है, क्योंकि यहाँ मुस्लिम आबादी 35 से 67 प्रतिशत के बीच है। यही वजह है कि जिस पार्टी को इस आबादी का समर्थन मिलता है, उसकी जीत की संभावना काफी बढ़ जाती है।

2020 में AIMIM ने लगाई थी सेंध 

2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल ने बिहार की राजनीति को हिला दिया था। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने यहां पांच सीटों पर जीत दर्ज करके महागठबंधन के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगा दी थी। अमौर, बहादुरगंज, बायसी, जोकीहाट और कोचाधामन—इन सीटों पर AIMIM की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया था कि मुस्लिम वोट अब स्थायी रूप से किसी एक दल के साथ नहीं बल्कि परिस्थितियों और स्थानीय मुद्दों के आधार पर बदल सकता है। हालांकि बाद में AIMIM के पांच में से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए, लेकिन यह संकेत मिल गया था कि सीमांचल में वोटर अब सोचकर और स्थितियों के आधार पर वोट दे रहा है।

मुकाबला त्रिकोणिय 

इस बार 2025 के चुनाव में मुकाबला और ज्यादा दिलचस्प हो गया है। यह अब सिर्फ महागठबंधन और एनडीए के बीच की लड़ाई नहीं है। AIMIM और प्रशांत किशोर के जनसुराज ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। PK की जनसुराज यात्रा ने पूर्णिया और अररिया में युवाओं और नए वोटरों के बीच अच्छा प्रभाव बनाया है। उधर AIMIM फिर से जमीन पुनः हासिल करने की कोशिश कर रही है। महागठबंधन यहां मुस्लिम-यादव समीकरण को फिर से मजबूत करना चाहता है, जबकि एनडीए ने कई सीटों पर सामाजिक समीकरण तोड़ने और नए चेहरे उतारने का प्रयास किया है।

वोट बंटा तो एनडीए को फायदा 

सीमांचल में वोटर क्या सोच रहा है, यह इस चुनाव का निर्णायक सवाल है। अगर मुस्लिम वोट एकजुट रहा, तो महागठबंधन की स्थिति मजबूत होगी। लेकिन अगर वोट बंटा, तो फायदा सीधे एनडीए को जाएगा। वहीं AIMIM और जनसुराज की बढ़ती सक्रियता कई सीटों पर चुनाव को आखिरी समय में बदल सकती है। यह क्षेत्र पूरे बिहार की सत्ता का सेंटर पॉइंट है। यहाँ की 24 सीटों का नतीजा यह तय करेगा कि पटना की कुर्सी पर किसकी सरकार बनेगी। सीमांचल में इस बार सिर्फ वोट नहीं डाले जाएंगे, यहाँ सत्ता का भविष्य लिखा जाएगा।