बिहार चुनाव 2025 में NDA को बहुमत मिलने के बावजूद, नीतीश कुमार के 10वीं बार CM बनने पर संशय है। भाजपा नेताओं के बयान, पार्टी की अपनी महत्वाकांक्षा और 'शिंदे मॉडल' की संभावना इसके मुख्य कारण हैं। अंतिम फैसला NDA की बैठक में होगा।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने शानदार बहुमत हासिल कर लिया है, जिससे राज्य में उसकी सरकार बनना तय है। हालाँकि, इस स्पष्ट जनादेश के बावजूद, राजनीतिक गलियारों में यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या नीतीश कुमार ही दसवीं बार मुख्यमंत्री बनेंगे? भाजपा के कुछ नेताओं के हालिया बयानों और बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के कारण नीतीश कुमार की ताजपोशी पर असमंजस के बादल छाए हुए हैं। नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बने रहने पर उठ रहे इस असमंजस के प्रमुख 4 कारण हैं।

1. भाजपा नेताओं के बयान और 'अमित शाह फैक्टर'

असमंजस की सबसे बड़ी वजह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बयान हैं। चुनाव के बीच जहाँ कुछ भाजपा नेताओं ने स्पष्ट रूप से नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने एक महत्वपूर्ण बयान में कहा था कि "हम नीतीश कुमार की अगुआई में चुनाव लड़ रहे हैं। नतीजे आने पर NDA के विधायक बैठेंगे और सीएम का चयन करेंगे।" भाजपा नेताओं द्वारा 'नीतीश ही सीएम होंगे' की स्पष्ट गारंटी न देना इस ओर इशारा करता है कि पार्टी विधायक दल की बैठक में अपना पक्ष मजबूत रख सकती है।

2. भाजपा के लिए 'इंतजार खत्म' होने का मौका

भाजपा कार्यकर्ता और नेता लंबे समय से राज्य में अपना मुख्यमंत्री देखने का इंतजार कर रहे हैं।इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद, भाजपा के पास अब तक का सबसे बेहतरीन मौका है कि वह अपने किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाए। अगर यह मौका चूकता है, तो उन्हें पाँच साल और इंतजार करना पड़ेगा, जो पार्टी के लिए एक बड़ा राजनीतिक घाटा होगा।

3. 'शिंदे मॉडल' की संभावना और राजनीतिक मजबूरी

महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक घटनाक्रम को बिहार के संदर्भ में देखा जा रहा है। महाराष्ट्र में भाजपा ने पहले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन चुनाव बाद अधिक सीटें जीतने पर उसने अपना मुख्यमंत्री बनाने पर जोर दिया और अंततः सफल रही। यदि भाजपा बिहार में ऐसा ही रुख अपनाती है, तो नीतीश कुमार के पास पाला बदलने का कोई विकल्प नहीं बचेगा। राजद और कांग्रेस पहले ही हार चुके हैं, और NDA के घटक दलों का समर्थन भी भाजपा के साथ ही रहेगा। ऐसे में नीतीश को भाजपा की शर्तों को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

4. नीतीश कुमार की सार्वजनिक गतिविधियां और सेहत के सवाल

असमंजस की एक अप्रत्यक्ष वजह खुद नीतीश कुमार से जुड़ी है। हाल के दिनों में सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान उनकी कुछ ऐसी गतिविधियाँ सामने आईं, जिनसे उनकी सेहत को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं। हालाँकि चुनावी नतीजों ने उनके आलोचकों को शांत कर दिया है, लेकिन भाजपा इस व्यक्तिगत पहलू को गठबंधन की बैठक में किस तरह से देखती है, यह अभी स्पष्ट नहीं है। पार्टी नेतृत्व को लंबे समय तक कार्यभार संभालने वाले एक स्थिर नेता की आवश्यकता होगी।

फिलहाल NDA गठबंधन को भारी बहुमत मिला है और नीतीश कुमार के पुनः मुख्यमंत्री बनने की संभावना सबसे अधिक है। लेकिन अंतिम निर्णय भाजपा के विधायक दल की बैठक और उनके शीर्ष नेतृत्व के रुख पर निर्भर करेगा।