सार
छत्तीसगढ के बालोद जिले में न सिर्फ गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है, बल्कि जिले के सभी सरकारी भवनों के रंग-रोगन में भी इसी पेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी सराहना कर चुके हैं।
रायपुर। क्या आपने कभी गोबर से बने प्राकृतिक पेंट से पोताई देखी है। आप भी यह सुनकर अचरज में होंगे। पर यह सच है। छत्तीसगढ के बालोद जिले में न सिर्फ गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है, बल्कि जिले के सभी सरकारी भवनों के रंग-रोगन में भी इसी पेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। खुद कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने कलेक्टोरेट भवन के रंग-रोगन की शुरुआत हाथ में ब्रश लेकर की। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी भूपेश सरकार के इस फैसले की सराहना कर चुके हैं।
दो हजार लीटर पेंट का हो चुका है उत्पादन
शासन की तरफ से महिला समूहों द्वारा गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का शासकीय भवनों की पोताई में इस्तेमाल के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। आपको बता दें कि जिले के ग्राम बरही के आदर्श गौठान में गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्मित किया जा रहा है। अब तक दो हजार लीटर प्राकृतिक पेंट व डिस्टेम्पर का उत्पादन हो चुका है। विभिन्न विभागों व ग्राम पंचायतों द्वारा प्राकृतिक पेंट खरीदा जा रहा है। राज्य के लोक निर्माण विभाग द्वारा 1.62 लाख रुपये कीमत की सबसे अधिक 800 लीटर प्राकृतिक पेंट व डिस्टेम्पर की खरीददारी की गई है। कलेक्टर ने बताया कि प्राकृतिक पेंट से कलेक्टोरेट भवन सहित अन्य शासकीय भवनों की पोताई का कार्य चल रहा है।
प्राकृतिक पेंट सस्ता और इको फ्रेंडली
बाजार में मल्टीनेशनल कम्पनियों के केमिकल से बने पेंट और डिस्टेंपर सुलभ हैं। पर उनकी तुलना में यह प्राकृतिक पेंट सस्ता और इको फ्रेंडली है। इस पेंट के बढते उपयोग से राज्य में नवाचार को बढावा मिल रहा है, साथ ही महिला स्व-सहायता समूहों को लाभ भी हो रहा है। शासन के निर्देश के बाद बालोद में सभी सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों आदि की पुताई का काम इसी पेंट से किया जा रहा है। गोबर से सिर्फ एक ही रंग के पेंट का उत्पादन नहीं हो रहा है, बल्कि वर्तमान में इससे सफेद, पीला, हरा और गुलाबी रंग के भी पेंट का उत्पादन किया जा रहा है। विशेष ऑर्डर पर अन्य रंगों के पेंट का भी उत्पादन जारी है।