छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। कुल 41 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 32 इनामी नक्सली शामिल हैं। एक करोड़ से अधिक इनामी राशि वाले ये नक्सली मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लेकर आए हैं।
बीजापुर का घना जंगल, वर्षों से गोलियों की गूंज और खामोशी का अजीब मिश्रण झेलता आया है। लेकिन बुधवार की सुबह इस इलाक़े ने एक अलग दृश्य देखा। जहां कभी सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला किया जाता था, वहीं अब उसी इलाके में नक्सलियों की लंबी कतार आत्मसमर्पण के लिए खड़ी थी। यह नज़ारा सिर्फ बीजापुर ही नहीं, पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ी उम्मीद लेकर आया है।
41 नक्सलियों का आत्मसमर्पण, 32 पर था भारी इनाम
बीजापुर पुलिस और सुरक्षाबलों के सामने बुधवार को कुल 41 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें से 32 नक्सली इनामी थे, जिनकी कुल इनामी राशि लगभग एक करोड़ 19 लाख रुपये थी। यह इस साल का अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण माना जा रहा है।
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इन शीर्ष और मध्य स्तरीय नक्सलियों पर था इनाम
9 नक्सलियों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम
- पंडरू हपका उर्फ मोहन
- बंडी हपका
- लक्खू कोरसा
- बदरू पुनेम
- सुखराम हेमला
- मंजूला हेमला उर्फ शांति
- मंगली माडवी उर्फ शांति
- जयराम कडियम
- पांडो मडकम उर्फ चांदनी
3 नक्सलियों पर 5-5 लाख रुपये का इनाम
- माटा कडियम उर्फ मंगल
- जमली कडियम
- जोगी मडकम उर्फ मालती
12 नक्सलियों पर 2-2 लाख रुपये का इनाम, 8 नक्सलियों पर 1-1 लाख रुपये का इनाम
प्रत्येक नक्सली को मिली 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि
आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक नक्सली को सरकार द्वारा 50-50 हजार रुपये की तुरंत प्रोत्साहन राशि दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि सभी नक्सली भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था में आस्था जताते हुए समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं। उन्हें आगे पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया जाएगा ताकि वे सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन जी सकें।
कई बड़े नक्सली संगठनों से जुड़े थे सभी आत्मसमर्पित नक्सली
ये नक्सली निम्नलिखित संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े रहे थे:
- दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी
- तेलंगाना स्टेट कमेटी
- धमतरी-गरियाबंद-नुआपाड डिवीजन
पुलिस के अनुसार, यह आत्मसमर्पण नक्सल संगठनों की कमजोर होती पकड़ का संकेत है।
जिले में नक्सल मोर्चे की स्थिति
- इस वर्ष 528 माओवादी गिरफ्तार किए गए
- 560 माओवादी मुख्यधारा में लौटे
- मुठभेड़ों में 144 माओवादी ढेर किए गए
सुरक्षा बलों के लिए यह लगातार बड़ी उपलब्धियों में से एक है और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित होने की उम्मीद और प्रबल हो गई है।
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