Dwarka Sector 8 Waterlogging: द्वारका सेक्टर-8 में 100 करोड़ की ड्रेन योजना अब लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। एयरपोर्ट का पानी सेक्टर-8 में जमा हो रहा है जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है।
Dwarka Sector 8 Waterlogging: करीब तीन साल पहले उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने एयरपोर्ट ड्रेन परियोजना का निरीक्षण किया था। उस वक्त लोगों को उम्मीद थी कि 100 करोड़ रुपये की लागत से बन रही यह योजना इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और उसके आसपास के इलाकों को जलभराव की समस्या से राहत दिलाएगी। लेकिन अब परियोजना लगभग पूरी हो चुकी है तो तस्वीर कुछ और ही है।
एयरपोर्ट परिसर को बारिश के पानी से मिली निजात
एक तरफ एयरपोर्ट परिसर को बारिश के पानी से निजात मिल गई है, वहीं सेक्टर-8 के लोग अब भी जलभराव की समस्या से परेशान हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि एयरपोर्ट से निकला वर्षा जल ड्रेन के जरिये सेक्टर-8 की गलियों, सड़कों और पार्कों में फैल जाता है। कभी यह पानी कुछ घंटों में निकलता है तो कभी-कभी कई दिनों तक जमा रहता है, जिससे लोगों को आने-जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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जलभराव से जूझ रहे लोग
वहां रह रहे लोगों ने मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा कि ड्रेन का पानी खुले हिस्सों में बहकर जमा हो जाता है। इसके कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। स्थिति तब और खराब हो जाती है जब टूटी-फूटी सड़कों और अधूरी नालियों के कारण पानी की निकासी संभव नहीं हो पाती। जिस ड्रेन को इलाके के लोग कभी वरदान मान रहे थे अब वही उनके लिए अभिशाप बन चुकी है।
20 मीटर चौड़ी और दो मीटर गहरी ड्रेन बनाई गई
परियोजना के तहत एयरपोर्ट परिसर में प्रति सेकंड 70 क्यूबिक मीटर वर्षा जल निकासी की क्षमता वाली 20 मीटर चौड़ी और दो मीटर गहरी ड्रेन बनाई गई थी। योजना के अनुसार, इस पानी को सेक्टर-8 से होते हुए भारत वंदना पार्क के जलाशय तक पहुंचाना था। लेकिन लोगों का कहना है कि डीडीए ने ड्रेन तो बना दी, पर पानी के अंतिम निकास की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की। नतीजा यह है कि एयरपोर्ट का पानी सेक्टर-8 में बहकर वहीं जमा हो जाता है। इस मुद्दे पर डीडीए के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। स्थानीय लोग अब भी इंतजार में हैं कि उनकी परेशानी को कोई गंभीरता से सुनेगा।
