सार
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेताओं को बीजेपी और कांग्रेस ने उनके ही क्षेत्रों में घेरने की रणनीति बनाई है। क्या यह रणनीति सफल होगी और चुनाव परिणामों को कैसे प्रभावित करेगी?
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का रण सज चुका है। प्रमुख दलों के सेनापति मैदान में उतर चुके हैं। आप और कांग्रेस के बाद शनिवार को भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी। ज्यों-ज्यों चुनाव की तारीखों के ऐलान का समय नजदीक आ रहा, मौसम के नीचे जा रहे पारे के बीच में राजनीतिक पारा चढ़ता दिख रहा है। तीन बार से लगातार दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी को घेरने के लिए इस बार बीजेपी ही नहीं कांग्रेस भी मजबूती से मैदान में डटी है। घोषित उम्मीदवारों की लिस्ट देखकर एक बात तो साफ है कि आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेताओं को उनके ही क्षेत्र में घेरने की जोरदार कोशिश की गई है। चुनावी रिजल्ट तो जनता के वोट्स पर निर्भर करता है लेकिन एक बात तो साफ है कि केजरीवाल से लेकर आतिशी तक को बीजेपी और कांग्रेस ने घर में ही घेर दिया है।
केजरीवाल को नई दिल्ली में घेरने की क्या सफल होगी रणनीति
दिल्ली में आम आदमी पार्टी का सबसे अहम चेहरा पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल हैं। आप पिछले सभी चुनाव केजरीवाल के चेहरे पर ही लड़ी है। 2013 में वह पहली बार नई दिल्ली से विधायक चुने गए थे। उस समय वह तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित के खिलाफ ताल ठोकते हुए मैदान में उतरे थे, जनता ने भरपूर समर्थन दिया और केजरीवाल के हाथो तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित को हार का मुंह देखना पड़ा। पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल लगातार तीन बार से नई दिल्ली सीट से विधायक हैं। इस बार वह चौथी बार यहीं से प्रत्याशी हैं। पर इस बार मुकाबला थोड़ा कठिन होता दिख रहा। कांग्रेस ने पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को चुनाव मैदान में उतारा है। उधर, बीजेपी ने भी पूर्व सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को टिकट दे दिया है। प्रवेश को बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था। वह पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि केजरीवाल को दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने उनके विधानसभा क्षेत्र में ही घेर दिया है। इससे वह अपनी सीट के बाहर राज्य में थोड़ा कम फोकस कर पाएंगे।
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मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी की बीजेपी ने की फील्डिंग
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी कालकाजी से विधानसभा चुनाव आप के सिंबल से लड़ रही हैं। यहां से कांग्रेस ने शुक्रवार को डीयू की पूर्व अध्यक्ष अलका लांबा को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान किया। शनिवार को बीजेपी ने अपने पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को प्रत्याशी बनाया। रमेश बिधूड़ी, वही हैं जिन्होंने लोकसभा में बसपा के मुस्लिम सांसद पर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया था। 2024 में बीजेपी ने उनको टिकट नहीं दिया। रमेश बिधूड़ी 10 साल सांसद रहे हैं।
मनीष सिसोदिया को भी दोनों तरफ से घेरा
आम आदमी पार्टी के एक और सीनियर लीडर व पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया इस बार जंगपुरा से चुनाव मैदान में हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने फरहाद सूरी को मैदान में उतारा है। बीजेपी ने सरदार तरविंदर सिंह मारवाह को उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है।
आप के इन दिग्गज नेताओं को भी कड़ी चुनौती
बाबरपुर सीट से कैबिनेट मंत्री गोपाल राय के खिलाफ हाजी मोहम्मद इशराक खान को कांग्रेस ने उतारा है। शकूर बस्ती से आप प्रत्याशी पूर्व मंत्री डॉ.सत्येंद्र जैन के खिलाफ सतीश लूथरा को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है।
मेहरौली से आप प्रत्याशी नरेश यादव के खिलाफ पुष्पा सिंह को कांग्रेस ने उतारा है। यहां से बीजेपी ने नरेश यादव के सजातीय उम्मीदवार गजेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतार दिया है।
यह नेता भी आप के लिए बनेंगे चुनौती
दिल्ली में आप के पूर्व नेता और पूर्व परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को बीजेपी ने बिजवासन सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। यहां से आप ने देवेंद्र सहरावत को उतारा है। गहलोत की गिनती केजरीवाल के करीबियों में कभी की जाती थी। इसी तरह शीला दीक्षित कैबिनेट का हिस्सा रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली को भी बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारदिया है। वह गांधीनगर सीट से बीजेपी की सिंबल से चुनाव लड़ेगें।
अगले महीने हो सकते हैं चुनाव
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए चुनाव फरवरी 2025 में संभावित है। विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है। 2020 में आम आदमी पार्टी ने एकतरफा जीत हासिल करते हुए 70 में 62 सीटों पर फतह किया था। जबकि 2015 में आप ने 70 में 67 सीटों पर जीत हासिल की थी। दोनों चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब था। आम आदमी के सत्ता में आने के पहले 15 साल तक कांग्रेस की शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं। लेकिन 2015 से कांग्रेस एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही है। बीजेपी का प्रदर्शन भी कुछ खास नहीं रहा। 2015 में 70 में तीन सीट तो 2020 में सात के आसपास सीटें जीत सकी।
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