सार

दिल्ली के स्ट्रीट फूड होंं या रेस्टोरेंट के लजीज व्यंजन का स्वाद सभी लोगों को पसंद आता है। फिलहाल यहां बटर चिकन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बात यहां तक आ गई है कि मामला दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। जानें क्या है पूरा प्रकरण…

नई दिल्ली। दोस्तों यदि आप नॉन वेजीटेरियन हैं तो बटर चिकन का नाम जहन में आते ही मुंह में पानी जरूर आ जाता होगा। वह भी दिल्ली का बटर चिकन फिर चाहे वह किसी स्ट्रीट कैब हो या रेस्टोरेंट का खाने में आनंद आ ही जाता है। यूं तो बटर चिकन का तालुल्क जायके से होता है लेकिन फिलहाल इस खास डिश को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है। विवाद इतना बढ़ गया है कि मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। 

दो रेस्टोरेंट मालिकों ने बटर चिकन पर किया दावा
भारत में लजीज व्यंजनों की भरमार है। खासकर दिल्ली में तो खाने-पीने की ढोरों वैरायटी देखने को मिलती हैं। फिर चाहे कुरकुरी जलेबी हो या पकौड़े या फिर तरह-तरह के पराठे। नॉनवेज की बात करें तो बटर चिकन सभी को खासा पसंद रहता है लेकिन अब बटर चिकन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसर दो रेस्टोरेंट मालिकों ने बटर चिकन के स्वामित्व को लेकर दावा किया है। दोनों इसे अपनी खास रेसिपी वाली डिश बताते हैं जिसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है।

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मोती महल और दरियागंज रेस्टों ने दायर की याचिका
बटर चिकन परोसने वाले परोसने वाले दिल्ली के दो फेमस रेस्टोरेंट ने इस मामले पर स्पष्टता की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता मोती महल डीलक्स काफी पुराने जमाने की रेस्टोरेंट चेन ने 2752 पन्नों की याचिका में तर्क दिया है कि इस रेस्टोरेंट के संस्थापक बटर चिकन के मूल आविष्कारक थे। इसलिए जो कोई भी अन्यथा कहता है वह नियम के उल्लंघन का दोषी है। वहीं प्रतिवादी दरियागंज नाम के एक नए रेस्टोरेंट ने भी काउंटर दाखिल किया है कि उसका भी एक अन्य रसोई घराने से ताल्लुक है। और उसने भी इस डिश के स्वामित्व को लेकर दावा किया है। 

इसी महीने दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की कार्यवाही फिर से शुरू होगी। दोनों रेस्तरां के प्रबंधकों ने अपने दावों के समर्थन में न्यूजपेपर्स की कटिंग, कुछ पुरानी तस्वीरें औऱ भोजन को लेकर रेस्टोरेंट को मिले अवार्ड भी कोर्ट में रखे हैं।