भोपाल, मध्य प्रदेश. इंदिरा गांधी ने अपनी 'कुर्सी' बचाने 26 जून 1975 को भारत में आपातकाल घोषित किया था। जगजाहिर है कि इस दौरान 62 लाख पुरुषों की जबरिया नसबंदी करा दी गई थी। 'आपातकाल' जैसा ही शिगूफा मध्य प्रदेश सरकार ने भी छेड़ा था। यहां बकायदा 'धमकी भरे' अंदाज में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को नसबंदी करने का टॉर्गेट दिया गया था। यह और बात है कि इसकी तुलना इंदिरा गांधी के 'आपातकाल' से की जाने लगी और विवाद बढ़ा...तब सरकार बैकफुट पर आ गई। आदेश वापस ले लिया गया...और इसकी गाज गिरा दी 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन' की संचालक IAS छवि भारद्वाज पर। उन्हें पद से हटा दिया गया, जबकि इससे पहले इस IAS की 'छवि' हमेशा जनमानस में लोकप्रिय रही। अब फिर से सामने आया है कि हरदा जिले के स्वास्थ्य विभाग ने 'नसबंदी अभियान' को सक्सेस करने एक नया आदेश निकाला है। यह अलग बात है कि इस बार आदेश में धमकी नहीं, इनाम देने की घोषणा की गई है। पहले जानते हैं कि आपातकाल के दौरान आखिर ऐसा क्या हुआ था कि इंदिरा गांधी सहित उनके बेटे संजय गांधी और बाकी सहयोगी देश की जनता के निशाने पर आ गए थे।