सार
गाय को यूं ही माता नहीं कहा जाता। कहते हैं कि गाय का दूध मां के दूध के समान अमृत होता है। तेलंगाना के वित्त मंत्री टी हरीश राव ने और एक परिवार के लिए एक गाय की व्यवस्था की है, जहां मां के निधन के चलते नवजात के लिए दूध का संकट खड़ा हो गया था।
हैदराबाद. गाय को यूं ही माता नहीं कहा जाता। कहते हैं कि गाय का दूध मां के दूध के समान अमृत होता है। तेलंगाना के वित्त मंत्री टी हरीश राव ने और एक परिवार के लिए एक गाय की व्यवस्था की है, जहां मां के निधन के चलते नवजात के लिए दूध का संकट खड़ा हो गया था।
10 किमी दूर जाना पड़ता था दूध खरीदने
बच्ची के माता-पिता आदिलाबाद जिले के इंद्रावेली मंडल के एक दूरदराज के गांव राजुगुड़ा के जंगबाबू और कोडापा पारुबाई हैं। पारुबाई ने जनवरी में इंद्रावेली के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में एक लड़की को जन्म दिया था।अगले दिन परिजन पारुबाई और बच्ची को अपने पैतृक गांव ले आए। लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण 10 दिनों के बाद पारुबाई की मौत हो गई। बच्ची को खिलाने की जिम्मेदारी उसके पिता जंगुबाबू और दादा बापू राव पर आ गई।
गांव में दूध के पैकेट उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें दूध खरीदने के लिए रोजाना 10 किमी का सफर तय करना पड़ता था। इसलिए एक महीने पहले, उन्होंने उत्नूर में इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट अथॉरिटी(ITDA) के अधिकारियों से अनुरोध किया था कि वे बच्चे को बिना किसी कठिनाई के दूध उपलब्ध कराने के लिए एक गाय मंजूर कर दें। उन्होंने एक आवेदन भी जमा किया, लेकिन परिवार ने कहा कि अधिकारियों ने बात अनसुनी कर दी।
मंत्री तक पहुंचा था ये मुद्दा
जब यह मुद्दा राज्य के वित्त मंत्री तब पहुंचा, तो वे एक्टिव हुए। उनके निर्देश पर पास के एक प्राइमरी हेल्थ सेंटर के कर्मचारियों ने गांव जाकर बच्ची को देखा। उसे खिलाने के लिए परिवार को दूध के पैकेट और पौष्टिक भोजन के पैकेट सौंपे। उन्होंने बच्ची के स्वास्थ्य की स्थिति की समीक्षा की और उसके पिता की इच्छा के अनुसार, एक गाय खरीदी। इस तरह उनकी समस्या का स्थायी समाधान हो गया। परिवार ने उन्हें एक गाय मुहैया करने के लिए मंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि वे बच्चे को अच्छी तरह से पालेंगे और गाय को उपहार के रूप में देखभाल करेंगे।
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