उधमपुर के चक शत्रिम्बले गांव में ऑर्गेनिक मूली की रिकॉर्ड फसल ने किसानों की किस्मत बदल दी है। सिंचाई सुविधा और PM-KISAN जैसी सरकारी योजनाओं की मदद से किसान मुलख राज सहित हजारों किसान सालभर फसल उगा पा रहे हैं।

कभी सूखे खेतों और सिंचाई की कमी से जूझता चक शत्रिम्बले गांव आज ऑर्गेनिक खेती के नए मॉडल के रूप में उभर रहा है। यहां की जमीन से निकली मूली की भरपूर पैदावार ने न केवल किसानों के चेहरों पर राहत की चमक लौटाई है, बल्कि यह साबित कर दिया है कि सही समर्थन मिले तो पहाड़ी इलाकों में भी खेती की तस्वीर बदली जा सकती है। गांव के किसान मुलख राज की सफलता इसकी सबसे बड़ी मिसाल है।

बिना पानी के संघर्ष से ऑर्गेनिक खेती की सफलता तक

चक शत्रिम्बले गांव के किसान मुलख राज बताते हैं कि उनका खेती का सफर हमेशा इतना आसान नहीं था।उन्होंने कहा, “पहले यहां सिंचाई की कोई सुविधा नहीं थी। पानी न होने से सालभर खेती कर पाना मुश्किल था।” लेकिन यह स्थिति तब बदल गई जब कृषि विभाग ने सरकारी योजना के तहत उनके खेत में बोरवेल लगवाया। अब उन्हें पूरे साल पानी मिलता है और वे लगातार मौसमी सब्जियां उगा पा रहे हैं।

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PM-KISAN स्कीम से मिली आर्थिक मजबूती

मुलख राज ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना के तहत मिलने वाले 6,000 रुपये सालाना से उन्हें खेती के इनपुट मैनेज करने में काफी मदद मिलती है। यह राशि हर सीजन में बीज, खाद और दूसरी जरूरतों को पूरा करने में सहारा बनती है।

54,787 किसानों तक पहुंची सरकारी मदद

उधमपुर के मुख्य कृषि अधिकारी हरबंस सिंह ने कहा कि जिले में किसानी को मजबूत करने के लिए विभाग लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है। उन्होंने बताया, “हम किसानों को PM-KISAN योजना के बारे में जागरूक कर रहे हैं और फॉर्म भरने तक में मदद कर रहे हैं। उधमपुर जिले के 54,787 किसान इस योजना का लाभ ले रहे हैं। यह योजना किसानों के लिए उम्मीद की किरण बनी हुई है। आज किसान साल में कई तरह की फसलें उगा पा रहे हैं।”

ऑर्गेनिक खेती ने खोले नई संभावनाओं के दरवाज़े

सरकारी योजनाओं की मदद और किसानों की मेहनत से चक शत्रिम्बले गांव में खेती की नई कहानी लिखी जा रही है। मुलख राज जैसे किसान न सिर्फ ऑर्गेनिक खेती अपना रहे हैं, बल्कि इससे मिलने वाली आय और आत्मविश्वास बढ़ने से गांव की कृषि अर्थव्यवस्था में नई जान आ गई है।

गांव में बंपर मूली की पैदावार इस बात का संकेत है कि अगर सही सहयोग मिले तो उधमपुर जैसे पहाड़ी इलाकों के किसान भी टिकाऊ और लाभदायक खेती की राह पर आगे बढ़ सकते हैं।

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