सार

कर्नाटक हाईकोर्ट के जेल अथॉरिटी को दिए निर्देश के बाद हत्या के एक दोषी को उसकी शादी के लिए 5 अप्रैल को पैरोल पर रिहा किया जा रहा है। कोर्ट ने उसकी प्रेमिका और मां की याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है। 

बेंगलुरु(Bengaluru). कर्नाटक हाईकोर्ट के जेल अथॉरिटी को दिए निर्देश के बाद हत्या के एक दोषी को उसकी शादी के लिए 5 अप्रैल को पैरोल पर रिहा किया जा रहा है। कोर्ट ने उसकी प्रेमिका और मां की याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है। युवक हत्या के एक मामले में 10 साल की सजा काट रहा है। उसे 15 दिन की पैरोल मिली है।

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1. जस्टिस एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोषी आनंद की प्रेमिका नीता और उसकी मां रत्नम्मा द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करने के बाद जेल अथॉरिटी को यह नोटिस दिया था।

2. पिटीशनर मां ने कोर्ट में कहा था कि उसका बेटा पिछले 9 साल से नीता से प्यार करता है, इसलिए उसे शादी करने के लिए पैरोल पर रिहा किया जाना चाहिए।

3.17 अगस्त, 2015 को आनंद (घटना के समय 21 वर्ष) को मस्ती पुलिस स्टेशन ने नागदेनहल्ली, मस्ती होबली में एक व्यक्ति की रियल एस्टेट विवाद में हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।

4. इस मामले में सेशनल कोर्ट ने 2019 में आरोपी को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि अपील पर हाईकोर्ट की एक बेंच ने सजा को घटाकर 10 साल कर दिया था।

5. इस बीच, आनंद की प्रेमिका ने कोर्ट में एक आवेदन दायर कर जेल अधिकारियों को उसे 15 दिनों के पैरोल पर रिहा करने का निर्देश देने की मांग की थी, ताकि वे दोनों शादी कर सकें।

6. कोर्ट के आदेश के बाद परप्पना अग्रहारा सेंट्रल जेल के DIG और जेल के चीफ सुपरिटेंडेंट को कड़ी शर्तों के साथ दोषी (कैदी संख्या 11699) को 5 अप्रैल की दोपहर तक 15 दिनों के लिए रिहा करने का आदेश दिया है।

7. बता दें कि जेल मेन्युअल के सेक्शन 636 के सब-सेक्शन 12 के अनुसार अथॉरिटी के चीफ को असाधारण परिस्थितियों में कैदियों को पैरोल देने का अधिकार है। बेंच ने अपने आदेश में कहा, इसलिए यह देखते हुए पैरोल दी जा सकती है कि यह बहुत ही दुर्लभ मामला है।

8.सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दोषी को 21 साल की उम्र में 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। याचिकाकर्ता युवती पिछले 9 साल से दोषी से प्यार करती है और अगर पैरोल नहीं मिली तो वह अपने जीवन का प्यार खो देगी।

9. हालांकि सरकार के वकील ने इस पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि जेल मैनुअल शादी करने के लिए पैरोल की इजाजत नहीं देता है। इसलिए उन्होंने बेंच से अपील की कि याचिका खारिज की जाए।

10. हालांकि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने बंबई हाईकोर्ट, राजस्थान हाईकोर्ट और राज्य हाईकोर्ट की डिविजल बेंचेज के विभिन्न आदेशों का उल्लेख किया, जो इस याचिका का समर्थन करते थे।

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