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Shibu Soren Funeral: शिबू सोरेन की अंतिम यात्रा उसी खाट पर हुई जिसमें वे जीवनभर सोए, जानें आदिवासी परंपरा
Shibu Soren funeral Tribal Tradition : दिशोम गुरु शिबू सोरेन को पारंपरिक आदिवासी रीति से अंतिम विदाई दी गई। जिस खाट पर वे जीवन भर सोते थे, उसी से घाट तक ले जाया गया। हल्दी, सगुन और बेटे के कंधे से निभाई गई सदियों पुरानी परंपरा।

Shibu Soren Funeral: जननायक की विदाई, अंतिम यात्रा खाट पर
Shibu Soren Funeral में एक अनोखी परंपरा देखने को मिली। दिशोम गुरु शिबू सोरेन को उसी खाट पर अंतिम यात्रा के लिए ले जाया गया जिस पर वे जीवन भर आराम करते थे। आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार अर्थी नहीं बनाई गई, बल्कि परंपरागत तरीके से उन्हें घाट तक ले जाया गया।
Tribal Tradition Before Cremation: हल्दी और सगुन की अनोखी रस्म
Shibu Soren के अंतिम संस्कार से पहले उनके पार्थिव शरीर पर हल्दी लगाई गई। यह एक पुरानी Tribal Cremation Tradition है। ग्रामीणों ने सगुन के रूप में कुछ पैसे अर्पित किए और बेटे ने कांधा दिया। यह आदिवासी संस्कृति की उस विरासत को दर्शाता है जिसे पीढ़ियों से निभाया जा रहा है।
Dishom Guru Last Rites :फूलों की बारिश से अंतिम विदाई
रामगढ़ पहुंचते ही जब Shibu Soren का पार्थिव शरीर ग्रामीणों के बीच पहुंचा, तो उन्होंने भावुक होकर फूलों की बारिश की। हर चेहरा गमगीन था और आंखें नम थीं। जननायक को अंतिम बार देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ी, जिसने ये साबित कर दिया कि दिशोम गुरु सिर्फ नेता नहीं, भावना थे।
Jharkhand Assembly में उमड़ी नेताओं की भीड़
Shibu Soren Funeral में Jharkhand Assembly में देशभर के प्रमुख नेता पहुंचे। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव जैसे बड़े नाम अंतिम दर्शन को उपस्थित रहे। जनसभा जैसी भीड़ ने शिबू सोरेन के प्रभाव और सम्मान को दर्शाया, जो आदिवासी राजनीति के सबसे बड़े प्रतीकों में से एक थे।
Legacy of Dishom Guru: एक जीवन, जो बना आंदोलन
Shibu Soren सिर्फ एक राजनेता नहीं, झारखंड आंदोलन के स्तंभ थे। उनकी Funeral Ceremony ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनका जीवन, उनकी रीति-रिवाजों से जुड़ी अंतिम यात्रा और लोगों का भावनात्मक जुड़ाव उन्हें अमर बना देता है। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।