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सदियों से कुंड में जल समाधि लेकर बैठे हैं स्वयंभू पाताल शिव, वर्षों बाद सफाई के दौरान चमत्कारिक रूप से हुए दर्शन
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दुमका.झारखंड के दुमका जिले के बासुकीनाथ में शिवगंगा सरोवर की सफाई के दौरान निकले शिवलिंग को देखने भीड़ उमड़ रही है। शिवगंगा की सतह से करीब 15 फीट नीचे एक कुंड की सफाई के दौरान जैसे ही शिवलिंग निकलने की खबर लोगों को पता चली, लोग पूजा-अर्चना करने दौड़े-दौड़े पहुंचे। 'स्वयंभू पाताल शिव' चर्चा का विषय बने हुए हैं। यह शिवलिंग वर्षों से कीचड़ और पानी में दबा हुआ था।
झारखंड सरकार शिवगंगा की सफाई करा रही है। जब कुंड के कीचड़ को बाहर निकाला गया, तब शिवलिंग दिखाई दिया।
शिवलिंग की पूजा पाताल महादेव के पुजारी ने विधि-विधान से की। इस दौरान डमरू और अन्य परंपरागत वाद्य यंत्र बजाकर लोग झूमते रहे।
कहते हैं कि बासुकीनाथ शिवगंगा की तलहटी में स्थित यह कुंड प्राचीन है। बुजुर्ग बताते हैं कि 300 साल पहले जब यहां शिवगंगा सरोवर का अस्तित्व नहीं था। तब यहां कुंड में शिवलिंग था। इन्हें पाताल बाबा के नाम से जानते हैं।
दरअसल, परंपरा के हिसाब से शिवगंगा में पानी भरने से पहले पाताल बाबा की पूजा-अर्चना की जाती है। उन पर बिल्वपत्र, पुष्प, अबीर-गुलाल चढ़ाया जाता है। इसके बाद शिवगंगा को पानी से भर दिया जाता है।
कई सालों बाद जब कुंड की सफाई की गई, तो लोग दर्शन करने टूट पड़े। इस लोग चमत्कार मानते हैं कि कुंड में रखी पूजन-सामग्री और सालों से रखीं बाबा की चरण पादुका को कोई नुकसान नहीं होता है।
बता दें कि शिवगंगा की सफाई के बाद इसे फिर से पानी से भर दिया जाएगा। इसके साथ ही पाताल बाबा फिर से जल के अंदर समाधिस्थ हो जाएंगे। लोगों का मानना है कि बाबा के दर्शन दुर्लभ हैं।