Independence Day 2025: भोपाल गौरव दिवस 1 जून 1949 को 226 साल पुराने नवाबी शासन के अंत की याद दिलाता है। जानें विलंबित आज़ादी, विलीनीकरण आंदोलन, बलिदानों और सरदार पटेल की रणनीति की रोमांचक कहानी, जिसने भोपाल का भविष्य बदला।

Bhopal Independence Story: भारत की आज़ादी की तारीख 15 अगस्त 1947 है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल ने इस दिन तिरंगा नहीं फहराया था? 659 दिन बाद, यानी 1 जून 1949 को भोपाल को वह स्वतंत्रता (Bhopal Independence Day 1949) मिली जिसे आज ‘भोपाल गौरव दिवस’ के रूप में याद किया जाता है। सवाल यह है कि आखिर क्यों भोपाल को बाकी देश के साथ आज़ादी नहीं मिली और इसके पीछे की सच्चाई क्या है?

15 अगस्त को भोपाल में क्यों नहीं फहराया गया तिरंगा?

जब भारत अंग्रेजों से आज़ाद हुआ, तब देश में 584 रियासतें थीं। इनमें से कई को भारत में विलय करना आसान नहीं था। भोपाल भी उन्हीं में से एक था। यहां के अंतिम नवाब हमीदुल्ला खान (Bhopal and Hyderabad Nizam Connection) भारत में विलय के पक्ष में नहीं थे और भोपाल को एक स्वतंत्र रियासत के रूप में रखना चाहते थे। उन्होंने हैदराबाद के निज़ाम की तरह पाकिस्तान में विलय (Bhopal Pakistan Merger Attempt) की भी कोशिश की, लेकिन मध्य भारत में स्थित होने के कारण यह भौगोलिक रूप से असंभव था।

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कैसे शुरू हुआ विलीनीकरण आंदोलन?

भारत के आज़ाद होने के बाद भी भोपाल में नवाबी शासन जारी रहने से जनता में असंतोष बढ़ने लगा। जनवरी 1948 में प्रजा मंडल की स्थापना हुई और 6 जनवरी 1949 को विलीनीकरण आंदोलन की शुरुआत हुई। यह आंदोलन पहले छोटे स्तर पर था लेकिन धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र में फैल गया। रायसेन जिले के बोरास गांव में आंदोलनकारियों ने तिरंगा फहराने की कोशिश की तो पुलिस फायरिंग में चार युवाओं की शहादत हुई। यह घटना देशभर में गूंज उठी और हालात इतने गंभीर हो गए कि सरदार वल्लभभाई पटेल को हस्तक्षेप करना पड़ा।

नवाब की जिद और पटेल का दृढ़ संकल्प

24 जनवरी 1949 (Bhopal 659 Days Delay) को सरदार पटेल ने अपने सचिव वी.पी. मेनन को भोपाल भेजा। मध्य प्रदेश के आखिरी नवाब (Bhopal Last Nawab) के साथ लंबी वार्ता के बाद 30 अप्रैल 1949 को ऐतिहासिक समझौता हुआ, जिसके तहत 1 जून 1949 से भोपाल का प्रशासन भारत सरकार के हाथों में सौंपा गया।

1 जून 1949: भोपाल की असली आज़ादी

इस दिन भारत सरकार के अधिकारी एन.बी. बनर्जी ने भोपाल पहुंचकर नवाब से प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ में लिया। 1723 से चला आ रहा नवाबी शासन समाप्त हुआ और भोपाल भारत गणराज्य का अभिन्न अंग बन गया। यही वजह है कि 1 जून को हर साल भोपाल गौरव दिवस मनाया जाता है।

गौरव दिवस क्यों है खास?

तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस दिन को गौरव दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की। कार्यक्रमों का उद्देश्य केवल इतिहास को याद करना नहीं है, बल्कि नई पीढ़ी को यह संदेश देना है कि आज़ादी केवल 15 अगस्त 1947 को नहीं मिली थी, बल्कि कुछ क्षेत्रों में यह एक लंबा संघर्ष और बलिदान के बाद आई।

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