MP Krishna Patheya Project: CM मोहन यादव ने जन्माष्टमी के खास मौके पर पर 'श्रीकृष्ण पाथेय' प्रोजेक्ट का ऐलान किया। MP के 3,000+ मंदिरों में भव्य आयोजन और 15 सांस्कृतिक पुरस्कार भी घोषित किए गए। 

MP Janmashtami Madhya Pradesh: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े हैं, वे स्थान हमारे लिए पूजनीय हैं। सरकार इन सभी स्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित कर रही है। जैसे "राम वनगमन पथ" बनाया गया है, वैसे ही "श्रीकृष्ण पाथेय" का विकास किया जाएगा। इसके अंतर्गत उज्जैन का सांदीपनि आश्रम, धार का जानापाव और अमझेरा को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सभी स्थान गोकुल जितने ही पवित्र हैं।

श्रीकृष्ण की लीलाओं से प्रेरणा

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर उस समय प्रजातंत्र की नींव रखी। बाल्यकाल में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर माखन की मटकियाँ फोड़नी शुरू कीं, ताकि गोकुल का माखन मथुरा तक न जा सके। यह उनके विद्रोही स्वभाव और अन्याय के खिलाफ खड़े होने का प्रतीक था। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन की लीलाओं से कर्म और धर्म का संदेश दिया।

जन्माष्टमी महोत्सव का शुभारंभ

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार के दिन अपने निवास पर आयोजित श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर्व, हलधर महोत्सव और लीलाधर प्रकटोत्सव समारोह को शानदार तरीके से संबोधित कर रहे थे। इस्कॉन मंदिर के पुजारियों द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्रोच्चार के बीच बाल गोपाल स्वरूप का जलाभिषेक, पूजा-अर्चना और दीप जलाने के साथ हुआ। इस्कॉन संस्था की ओर से श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा, धार्मिक साहित्य और प्रसाद वितरित किया गया।

गीता का संदेश और सांस्कृतिक विरासत

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश देकर धर्म की रक्षा की। वे हमेशा पांडवों के साथ खड़े रहे। उन्होंने द्वारकापुरी छोड़ते समय अपने पुत्र को राजा नहीं बनाया और जीवनभर मोर मुकुट धारण कर ग्रामीण संस्कृति को अपने सिरमाथे पर सजाए रखा।

योजनाएँ और शिक्षा

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार श्रीकृष्ण के उपदेशों और सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ा रही है। गौमाता की रक्षा और किसानों की आय बढ़ाने के लिए "डॉ. भीमराव आंबेडकर कामधेनु योजना" शुरू की गई है। साथ ही, बच्चों को संस्कारित करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए सांदीपनि विद्यालय खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता सामाजिक समरसता का आदर्श उदाहरण है।

प्रदेशभर में जन्माष्टमी उत्सव

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हलधर महोत्सव और लीलाधर प्रकटोत्सव के अंतर्गत संस्कृति विभाग ने प्रदेश के 162 प्रमुख मंदिरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए। साथ ही, 3 हजार से अधिक मंदिरों में आकर्षक सजावट और श्रृंगार किया गया। इसमें स्थानीय सांसद, मंत्री, विधायक और आमजन बड़ी संख्या में शामिल हुए। मंदिर सजावट के लिए सरकार की ओर से कुल 15 पुरस्कार रखे गए हैं—जिनमें 1.50 लाख रुपये के तीन, 1 लाख रुपये के पाँच और 51 हजार रुपये के सात पुरस्कार शामिल हैं।

भव्य आयोजन और उत्सव का रंग

मुख्यमंत्री ने माताओं और बहनों को बाल स्वरूप गोपाल कृष्ण की प्रतिमा, सिंगार सामग्री, पंजीरी, माखन-मिश्री और प्रसाद वितरित किया। उन्होंने “हाथी घोड़ा पालकी—जय कन्हैया लाल की” और “नंद घर आनंद भयो—जय कन्हैया लाल की” जैसे उद्घोष किए। बाल गोपालों के साथ पुष्पवर्षा के बीच मटकी फोड़ कार्यक्रम हुआ और मुख्यमंत्री ने भी "गोविंदा आला रे" गाकर सभी को उत्साहित किया।

इस आयोजन में राधा-कृष्ण के वेश में सजे एक हजार से अधिक बच्चे शामिल हुए। उनके माता-पिता और परिवारजन भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने बच्चों को गोद में लेकर दुलार किया, उनके साथ समूह चित्र खिंचवाए और भक्ति संगीत की प्रस्तुतियों का आनंद लिया।