सार
मध्य प्रदेश सरकार ने इस वर्ष विजयदशमी पर होने वाली शस्त्र पूजा को रानी अहिल्याबाई होलकर को समर्पित करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को अपने जिलों में शस्त्र पूजा करने के निर्देश दिए हैं।
इंदौर. पूरा देश इस समय भारत के मालवा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होलकर का 300वां जन्म वर्ष सेलिब्रेट कर रहा है। वहीं मध्य प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि राज्य सरकार इस बार विजयदशमी पर्व पर होने वाली शस्त्र पूजन लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर के नाम करेगी।
1. मुख्यमंत्री की पहल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी मंत्रियों को अपने जिलों में शस्त्र पूजा करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा कि इस बार की पूजन लोकमाता अहिल्या बाई के नाम पर होगी।
2. पारंपरिक विधि: शस्त्रों को स्नान के बाद साफ कपड़ों पर रखकर, गंगाजल छिड़कर और मौली बाधकर पूजा की जाती है।
3. कथाएँ: शस्त्र पूजा की प्रथा कई कथाओं से जुड़ी है, जैसे राम का युद्ध और मां दुर्गा का महिषासुर वध
4. सामर्थ्य का प्रतीक: इस वर्ष पूजा में स्त्री शक्ति को भी सम्मानित किया जाएगा, विशेष रूप से लोकमाता अहिल्या देवी के संदर्भ में
5. आधुनिक पहल: सरकार ने बेटियों को शस्त्र पूजा और हथियारों की ट्रेनिंग देने का भी ऐलान किया है।
6. विजय प्राप्ति की मान्यता: इस दिन शस्त्र पूजा करने से युद्ध में विजय प्राप्त होने की मान्यता है।
7. समाज में जागरूकता: शस्त्र पूजा से समाज में सुरक्षा और सामर्थ्य का संदेश फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
8. संस्कृति का संरक्षण: यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जो भारतीय संस्कृति को सहेजने में सहायक है।
9. स्थानीय समारोह: विभिन्न जिलों में शस्त्र पूजा के आयोजन से स्थानीय समुदायों में एकता और उत्साह बढ़ता है।
10. बता दें कि जिस तरह से विजयदशमी पर शस्त्र पूजन का महत्व यानि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। ठीक उसी तरह अहिल्या बाई ने भी बुराई को मिटकर अच्छाई के लिए काम किया था।