सार
अतिथि शिक्षकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। ग्वालियर कोर्ट द्वारा एक अतिथि विद्वान द्वारा लगाई गई याचिका के पक्ष में फैसला दिया है। जिसका लाभ सभी अतिथि विद्वान को मिलेगा।
ग्वालियर. ग्वालियर कोर्ट में एक अतिथि विद्वान द्वारा याचिका लगाई गई थी। इस संबंध में कोर्ट ने सभी पक्षों के बयान के बाद बड़ा फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने साफ कहा दिया कि अतिथि विद्वान की नियुक्ति में पहले उन्हें प्राथमिकता दी जाए जो पहले सेवाएं दे चुके हैं या अनुभवी है। ऐसे में कोर्ट ने अतिथि विद्वान की नई लिस्ट को निरस्त कर दिया है।
ये था पूरा मामला
दरअसल अतिथि विद्वान की नियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग द्वारा आवेदन आंमत्रित किए गए थे। जिसके बाद अतिथियों की नियुक्ति की एक लिस्ट जारी की गई। इस लिस्ट में उन अतिथियों के नाम कहीं से कहीं से नहीं थे, जो पूर्व में सेवा दे चुके हैं। यानी इस लिस्ट में नए अतिथि विद्वान को ले लिया गया था। वहीं पुराने अतिथियों के नाम लिस्ट में नहीं थे। इस मामले में एक अतिथि द्वारा हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। जिसके पक्ष में फैसला आया है।
इस अतिथि विद्वान ने लगाई थी याचिका
अतिथि विद्वान राकेश जाटव ने एक याचिका लगाई थी। जिसमें उन्होंने बताया था कि पुराने व अनुभवी अतिथि विद्वान को हटाकर नया अतिथि विद्वान की नियुक्ति की गई है। उनकी इस याचिका पर गौर कर उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ के न्यायमूर्ति मिलिंद रमेश फड़के ने बड़ा फैसला लेते हुए नई लिस्ट को निरस्त कर दिया गया। साथ ही आदेश दिया कि नियुक्ति में पहले से कार्यरत अतिथि विद्वान को प्राथमिकता दी जाए।
सभी अतिथि विद्वान को मिलेगा लाभ
दरअसल अतिथि विद्वान की हर साल नई नियुक्ति की जाती है। उन्हें महज शिक्षण सत्र के दौरान आवश्यकता पड़ने पर लिया जाता है। ग्रीष्मकालीन छुट्टी का उन्हें वेतन नहीं मिलता है। इसके बाद हर साल सत्र प्रारंभ होने पर फिर से नियुक्ति होती है। ऐसे में कई बार पुराने अतिथि विद्वान को लेने की जगह सांठगांठ कर नए अतिथियों को ले लिया जाता है। ऐसे में पुराने अतिथि शिक्षक बेरोजगार होने के साथ ही खुद को ठगा सा महसूस करते है। ऐसे में कोर्ट का ये फैसला उन सभी अतिथियों के लिए फायदेमंद होगा। जो साल दर साल एक ही स्कूल में सेवाएं दे रहे हैं। उनकी जगह अब दूसरे को नहीं रखा जा सकेगा।