Indore Cyber Crime News: क्या एक नकली कोर्टरूम किसी को करोड़ों गंवाने पर मजबूर कर सकता है? इंदौर के रिटायर्ड मेडिकल ऑफिसर को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 4.32 करोड़ लूट लिए गए। तीन आरोपी पकड़ाए, लेकिन क्या गैंग का मास्टरमाइंड अभी भी बाहर है? 

Indore Retired Medical Officer Fraud: इंदौर में एक रिटायर्ड मेडिकल ऑफिसर के साथ ऐसा साइबर फ्रॉड हुआ, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। बुजुर्ग को ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लगभग एक महीने तक मानसिक रूप से बंधक बनाए रखा। फोन कॉल और वीडियो कॉल के जरिए उनकी दिनचर्या तक कंट्रोल करते हुए 4.32 करोड़ रुपए निकलवा लिए। हैरानी की बात ये है कि बुजुर्ग को ऐसा यकीन हो गया कि अगर पैसे नहीं दिए तो वो सचमुच जेल चले जाएंगे। आखिर कैसे तीन ठगों ने मिलकर इतनी बड़ी ठगी को अंजाम दिया? साइबर सेल ने इस हाई-प्रोफाइल फ्रॉड का कैसे खुलासा किया? आइए सरल भाषा में पूरी घटना समझते हैं।

डिजिटल अरेस्ट क्या है और बुजुर्ग इसके जाल में कैसे फंस गए?

ठगों ने बुजुर्ग को 21 सितंबर को कॉल किया और खुद को एक सरकारी अधिकारी बताया। उन्हें डराया गया कि उनका आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग और 538 करोड़ के केस में इस्तेमाल हुआ है। डराने के बाद वीडियो कॉल लगाया गया, जिसमें ठगों ने हूबहू कोर्ट रूम जैसी सेटिंग दिखाई। वहां नकली जज, नकली वकील और नकली कार्यवाही तक दिखाई गई जो बुजुर्ग को बिल्कुल रियल लगी। ठगों ने कहा कि जांच पूरी होने तक उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” में रखा जा रहा है। यानी न बाहर जा सकते हैं, न किसी से बात कर सकते हैं। बस उनके आदेशों का पालन करना है। यह सुनकर बुजुर्ग घबरा गए और उनकी बातों में आ गए।

ठग कैसे महीनेभर बुजुर्ग को कंट्रोल करते रहे?

ठगों ने बुजुर्ग को दिनभर कॉल पर रखा। उन्हें सोने तक नहीं देते थे। हर छोटी-बड़ी बात पूछते-

  • आपके पास कितनी प्रॉपर्टी है?
  • बैंक में कितना पैसा है?
  • सोशल मीडिया पर क्या फोटोज हैं?

बुजुर्ग डर के कारण हर जानकारी दे देते। डर इतना बढ़ गया कि घर के लोग भी समझ नहीं पाए कि क्या चल रहा है। उनका बेटा विदेश में था और पत्नी भी पूरी बात नहीं समझ पाई।

4.32 करोड़ रुपए आखिर तीनों बदमाशों के खातों में कैसे गए?

साइबर सेल की जांच में पता चला कि बुजुर्ग ने ठगों के कहने पर कई बार में 4.32 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। पैसे जिन खातों में गए, वे तीन आरोपियों से जुड़े थे-

  • सादिक पटेल (देवास)
  • शाहिद खान (जीकजीगंज)
  • सोहेल (रतलाम/भोपाल लिंक)

जब पूछताछ की गई तो आरोपी कहने लगे कि खाते बेच दिए थे, लेकिन बैंक फुटेज में वही लोग पैसे निकालते दिखे।

वीडियो कोर्ट और फर्जी जमानत-ठगों का सबसे बड़ा झांसा!

टेलीग्राम और वीडियो कॉल के जरिए ठगों ने दो दिन तक नकली कोर्टरूम दिखाया। बुजुर्ग को कहा गया कि अगर वे पैसे देते रहेंगे, तो ‘जमानत’ जल्दी मिल जाएगी। इसी भरोसे में वे लगातार पैसे देते रहे।

क्या आप भी ऐसी गलती कर सकते हैं?

यह घटना साफ बताती है कि डर और अज्ञानता साइबर ठगों का सबसे बड़ा हथियार है। किसी भी सरकारी एजेंसी का अधिकारी कभी वीडियो कॉल पर कोर्ट नहीं चलाता, न ही किसी को डिजिटल अरेस्ट किया जाता है। इंदौर साइबर सेल की तेज कार्रवाई से तीन आरोपी गिरफ्तार हो गए हैं, और बाकी की तलाश जारी है।