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कौन हैं Dr M C Dawar जिन्हें मिला पद्मश्री, 20 रुपए में करते हैं इलाज-मरीज कहते हैं भगवान
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जबलपुर (मध्य प्रदेश). भारत आज अपना 74वां गणतंत्र दिवस धूमधाम से मना रहा है। इस मौके पर पद्म पुरस्कारों (Padama Awards 2023) की घोषणा हो गई है। जहां अलग-अलग फील्ड में अनोखा काम करने वाली शख्सियतों को पद्मश्री से नवाजा गया है। वहीं मध्यप्रदेश के जबलपुर के डॉ. मुनीश्वर चंद्र डावर को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है। मुनीश्वर चंद्र डावर एक मशहूर डॉक्टर हैं जो :बेतहाशा महंगाई के ज़माने में महज 20 रुपए में मरीजों का इलाज करते हैं। उन्हें उनकी इसी खासियत की बदौतल यह सम्मान दिया गया है।
भारत सरकार की तरफ से पद्म पुरस्कारों (Padama Awards 2023) की घोषणा हो गई है। मध्यप्रदेश के कई लोगों को पद्मश्री मिला है। इसमें जबलपुर के डॉक्टर मुनिश्वर चंद्र डावर भी शामिल हैं। डॉ. डावर आज भी 20 रुपए की मामूली फीस पर मरीजों का इलाज करते हैं।
भारत-पाकिस्तान युद्ध में सैनिकों का किया था इलाज
बता दें कि डॉक्टर डावर सेना में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश में थी। डॉ. डावर ने न जाने कितने घायल जवानों का इलाज किया। हालांकि युद्ध समाप्त होने के बाद उन्हें अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के चलते सेना में समय से पहले रिटायरमेंट लेना पड़ा। इसके बाद 1972 से उन्होंने जबलपुर में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। फिर यहां पर वह गरीबों का इलाज करने लगे।
पाकिस्तान में जन्म-पंजाब में पढ़ाई और मध्य प्रदेश में बने डॉक्टर
डॉ. डावर का जन्म आज के पाकिस्तान में 1946 में हुआ था। बताया जाता है कि डेढ़ साल की उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पंजाब के जालंधर से की। इसके बाद जबलपुर, मध्यप्रदेश से उन्होंने MBBS की डिग्री हासिल की। महंगाई के ज़माने में डावर सेवा भाव के अद्भुत प्रतीक बने हैं। यही वजह रही कि सरकार ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें पद्म श्री सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया। डॉ. डावर को पद्मश्री मिलने की खबर जैसे ही सामने आई, उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया।
गरीबों को मुफ्त में दवा भी खरीदकर देते
डॉ. मुनीश्वर चंद्र डावर...ऐसा नाम जो पहचान का मोहताज नहीं। वह जबलपुर में काफी मशहूर हैं। उनसे इलाज कराने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। करीब 50 सालों से गरीबों का इलाज कर रहे हैं। वह गरीबों से 20 रुपये फीस लेते हैं, इतना ही नहीं अगर किसी के पास यह भी नहीं होते तो वह मांगते नहीं हैं। कई गरीबों को तो वह अपनी जेब से दवा तक दिलाते हैं। 2010 में इनकी फीस दो रुपये थी।