मध्य प्रदेश के मंदसौर में प्याज कीमतों की भारी गिरावट से नाराज़ किसानों ने 25% एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाने की मांग करते हुए प्याज का ‘अंतिम संस्कार’ किया। किसानों का कहना है कि घटती कीमतें और बढ़ती लागत से खेती घाटे का सौदा बन गई है।

मंदसौर। मध्य प्रदेश के मंदसौर में प्याज की कीमतें इतनी गिर गई हैं कि किसानों का धैर्य अब टूटने लगा है। हालात ऐसे बन गए कि किसानों ने अपने प्याज का 'अंतिम संस्कार' कर विरोध जताया। धमनार गांव के किसानों ने ढोल-नगाड़ों के साथ प्याज की अर्थी सजाई और श्मशान घाट तक ले जाकर उसका सांकेतिक अंतिम संस्कार किया। यह नजारा देखकर हर किसी के मन में एक ही सवाल आया कि आखिर किसान इतनी मजबूरी में क्यों आ गए कि उन्होंने अपनी मेहनत की फसल को ‘मृत’ घोषित कर दिया? ।

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किसानों ने बताई अपनी पीड़ा

किसानों का कहना है कि बीते कई महीनों से मंडियों में प्याज का रेट 1 से 2 रुपये प्रति किलो तक आ गया है, जबकि इसकी उत्पादन लागत 10 से 12 रुपये प्रति किलो बैठती है। लागत निकलना तो दूर, खेत से मंडी तक लाने का किराया भी नहीं बच पा रहा। ऐसे में किसान करें तो क्या करें? इसी बेबसी ने उन्हें प्याज की अर्थी उठाने पर मजबूर कर दिया। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार की ओर से प्याज पर लगाई गई 25% एक्सपोर्ट ड्यूटी ने भारतीय प्याज को विदेशी बाजारों में बेकार कर दिया है। निर्यात बंद होने जैसा हाल है, गोदामों में प्याज भरा पड़ा है और मंडियों में दाम रसातल में जा चुके हैं।

क्या वाकई 25% एक्सपोर्ट ड्यूटी ने किसानों की प्याज ‘मार’ दी?

किसानों का दावा है कि जब से 25 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया है, विदेशों में भारतीय प्याज की मांग लगभग खत्म हो गई है। एक्सपोर्ट रुका तो माल देश में अटक गया। नतीजा—मंडी में कीमतें गिर गईं और किसान भारी नुकसान में चले गए। कई किसानों ने बताया कि वे अपनी पूरी फसल लागत से भी कम दाम पर बेचने को मजबूर हो गए हैं। धमनार गांव में हुए इस अनोखे प्रदर्शन में किसानों ने फूलों से सजी प्याज की अर्थी उठाई, ढोल बजे, बैंड बजा और पूरा गांव इस सांकेतिक ‘अंतिम संस्कार’ का गवाह बना। उनके चेहरे पर गुस्सा भी था और बेबसी भी।

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जब भाव ₹1–₹2 किलो हो जाए, तो किसान अपने घर कैसे चलाएंगे?

मालवा–निमाड़ क्षेत्र देश का बड़ा प्याज उत्पादक इलाका है। लेकिन जब मंडियों में दाम इतने गिर जाएं कि किसान ट्रैक्टर का डीज़ल भी न निकाल पाए, तो खेती उनके लिए घाटे का सौदा बन जाती है। कई किसानों ने कहा कि बारिश से दूसरी फसलें बर्बाद हो गईं और अब प्याज भी ‘मर’ गया, इसलिए उन्होंने उसका अंतिम संस्कार किया। किसान बद्री लाल धाकड़ ने सवाल उठाया- “अगर लागत भी नहीं निकली तो हम कहाँ जाएँ? सरकार कब जागेगी?”

क्या सरकार सपोर्ट प्राइस पर प्याज खरीदेगी? प्रशासन क्या कह रहा है?

तहसीलदार रोहित सिंह राजपूत मौके पर पहुंचे और किसानों की मांग सुनी। उन्होंने कहा कि किसानों ने मेमोरेंडम दिया है और इसे कलेक्टर के जरिए सरकार तक भेजा जाएगा। किसानों की मुख्य मांग है कि सरकार सपोर्ट प्राइस पर प्याज खरीदे ताकि उनकी लागत कम से कम निकल सके।

क्या ‘अंतिम संस्कार’ सिर्फ शुरुआत है? आंदोलन कितना बढ़ सकता है?

मंदसौर, जो पहले भी किसान आंदोलनों के लिए चर्चा में रहा है, अब फिर उबलने लगा है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही एक्सपोर्ट ड्यूटी नहीं हटाई गई और कीमतें नहीं बढ़ाई गईं, तो यह ‘अंतिम संस्कार’ सिर्फ शुरुआत भर है। पूरे इलाके में बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।