सार

CM मोहन यादव ने MP के मुख्यमंत्री के रूप में सांस्कृतिक पुनरुत्थान और धरोहर संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया है। उनके नेतृत्व में कई ऐतिहासिक पहल हुई हैं, जैसे ओपन एयर कैबिनेट और शस्त्र पूजन, जो प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत कर रही हैं।

डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर बहुत कम समय में एक कुशल प्रशासक की छवि बनाई है। उनका 10 माह से भी कम समय का छोटा सा कार्यकाल न केवल उत्कृष्टता से भरा है, बल्कि उनके बेहतरीन विजन और नीतियों ने मध्यप्रदेश के नागरिकों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का काम भी किया है। एक अच्छे प्रशासक के लिए निरंतर संवाद जरूरी है। डॉ. यादव हमेशा जनता के बीच रहकर कार्य करने वाले कुशल प्रशासक रहे हैं। डॉ. यादव की प्रशासकीय शैली में पारदर्शिता, निष्पक्षता और समर्पण भाव प्रमुख है। डॉ. मोहन यादव मुख्यसेवक के तौर पर दिन रात प्रदेश के नागरिकों की सेवा करने में जुटे हैं।

एक कुशल प्रशासक का नवाचार

डॉ. मोहन यादव ने अपने मुख्यमंत्री पद के छोटे से कार्यकाल में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं, जो उनके कुशल प्रशासक होने का प्रमाण हैं। उनका दृष्टिकोण, समर्पण और टीम के साथ कार्य करने की भावना ने उन्हें एक जननेता बना दिया है। आज समाज को ऐसे प्रशासकों की आवश्यकता है जो न केवल व्यवस्था को सुचारु करें, बल्कि समाज के विकास में भी योगदान दें। डॉ. यादव की कार्यशैली उनके गुणों और उनके द्वारा जनता के हित में लिए गए फैसलों और प्रयासों का जीवंत उदाहरण है। अपने कार्यकाल के दौरान डॉ. यादव ने कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए। डॉ. मोहन यादव एक कुशल प्रशासक हैं, जो अपने साथियों को को साथ लेकर चलने और कार्यकुशलता के लिए जाने जाते हैं। उनकी प्रशासनिक नीतियाँ और निर्णय लेने की क्षमता से आज प्रदेश में बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है। वे हमेशा टीम के सदस्यों को प्रोत्साहित करते हैं और उनके विचारों का सम्मान करते हैं। उनकी समस्या समाधान की क्षमता और दूरदर्शिता उन्हें एक प्रभावशाली प्रशासक बनाती है।

सनातन परम्परा को सहेजने की पहल

भारत की संस्कृति और परंपरा में सनातन धर्म का एक विशेष स्थान है। यह धर्म केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि एक जीवनशैली और सांस्कृतिक धारा है। डॉ. मोहन यादव के प्रयासों से मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को न केवल संजोया जा रहा है, बल्कि उसे एक नई दिशा भी दी जा रही है। उनकी नीतियों और योजनाओं से यह राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से और भी समृद्ध होता जा रहा है। प्रदेश में सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सनातन परम्परा के गौरव को संरक्षित करने और सहेजने की पहल के कई निर्णय लिये गए हैं। डॉ. मोहन यादव का दूरदर्शी नेतृत्व मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक अभ्युदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उनकी दृष्टि और प्रयासों से राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और विकसित करने का कार्य हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सांस्कृतिक अभ्युदय के संकल्प को पूरा करने की ओर मजबूती से कदम बढ़ा रही है।

डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश का सांस्कृतिक अभ्युदय

डॉ. यादव ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और आयोजनों के माध्यम से पारंपरिक कला, संगीत और सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पहल की हैं। कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिये देवालयों में लगने वाली सामग्री जैसे भगवान के वस्त्र-आभूषण, श्रृंगार सामग्री, धातु एवं पत्थर की मूर्तियों का निर्माण स्व-सहायता समूह द्वारा कराये जाने का निर्णय लिया है। उनके नेतृत्व में यूनेस्को के विश्व हेरिटेज सेंटर द्वारा प्रदेश की 6 धरोहरों को सम्मिलित किया गया है जिसमें ग्वालियर किला, धमनार का ऐतिहासिक समूह, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, चंबल घाटी के रॉक कला स्थल, खूनी भंडारा, बुरहानपुर और रामनगर, मंडला का गौंड स्मारक शामिल है।

सनातन संस्कृति का पुनरुद्धार

चित्रकूट को अयोध्या की तर्ज पर विकसित करने का निर्णय हो या राम वन पथ गमन मार्ग के सभी प्रमुख स्थलों को विकसित करने के लिये पूरी कार्य-योजना बनाकर उसे लागू करने का निर्णय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में ही लिया गया। इसी तरह राम वन पथ गमन मार्ग को प्रदेश के सांस्कृतिक पर्यटन के लिहाज से भव्य धार्मिक केन्द्र के रूप में विकसित करने के निर्णय के साथ ही जहाँ-जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े, उन स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित करने का फैसला भी हुआ। महाकाल की नगरी उज्जैन को व्यवसाय, पर्यटन एवं विकास की राह में आगे बढ़ाने के लिए वहां विभिन्न सांस्कृतिक, व्यापारिक एवं औद्योगिक आयोजन किये गये। विश्व की पहली “विक्रमादित्य वैदिक घड़ी’’ का शुभारंभ करने का बड़ा फैसला हो या शासकीय कैलेण्डर में विक्रम संवत अंकित करने का निर्णय, पीएम श्री धार्मिक पर्यटन हेली सेवा शुरू करने का बड़ा फैसला हो या अयोध्या में एक आस्था-भवन (धर्मशाला) निर्माण करने का फैसला ये सभी निर्णय मुख्यमंत्री डॉ.यादव के सनातन के प्रति अनुराग को व्यक्त करता है।

नई पीढ़ी में धर्म और संस्कृति के प्रति बढ़ी जागरूकता

देश पिछले कई हजार वर्षों तक बाहरी शक्तियों के आधीन रहा था। इसकी वास्तविक सम्पदा अंधकार में डूब चुकी थी। जिन-जिन शक्तियों ने हमारे देश पर शासन किया उन्होंने हमारी सांस्कृतिक परम्पराओं पर आघात पहुंचाने का काम किया। प्रदेशवासियों को उनकी वास्तविक पहचान लौटाने के लिए कईं क्षेत्रों पर कार्य करना आवश्यक था जिस पर मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने विशेष ध्यान दिया। डॉ. मोहन के नेतृत्व में प्रदेश के कोने -कोने में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए जो समाज में सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को प्रसारित करने का कार्य कर रहे हैं। इस बार उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों में सनातन धर्म से जुड़े त्योहारों को धूमधाम से मनाने की एक परिपाटी प्रदेश में शुरू की जिससे नई पीढ़ी में धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ी है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे प्रदेश में इस साल बड़ी धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रदेश के कोने कोने में आयोजित किए गए जो देश के पुरातन गौरव और भारतीय संस्कृति को जीवंत करते हैं। ये कार्यक्रम शिक्षा और समर्पण का माध्यम भी बने हैं। डॉ. यादव का मानना है कि सनातन धर्म केवल एक विश्वास नहीं, बल्कि एकता और भाईचारे का प्रतीक है। उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है, जिससे सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिला है। डॉ. यादव ने भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक पहलुओं को उजागर किया है। उन्होंने धर्म, संस्कृति के सफल आयोजन के माध्यम से ये दिखाया है कि कैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वैज्ञानिक सिद्धांतों का उल्लेख है, जो आज भी प्रासंगिक हैं।

सिंग्रामपुर गांव में पहली ओपन एयर कैबिनेट ऐतिहासिक पहल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रानी दुर्गावती की 500वीं जयतीं पर दमोह जिले के सिंग्रामपुर गांव में पहली ओपन एयर कैबिनेट करने की बड़ी ऐतिहासिक पहल की है। सिंग्रामपुर गांव में पहली ओपन एयर कैबिनेट मध्यप्रदेश के इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह पहल न केवल स्थानीय स्तर पर सरकार को जनता के करीब लाने का काम करेगी बल्कि नागरिकों को सरकार के साथ जुड़ने अवसर भी मिलेगा। ओपन एयर कैबिनेट एक प्रकार का मंच है जो संवाद को सतत रूप से प्रोत्साहित करने का काम करेगी । इस प्रकार की पहल से पुरातन इतिहास, गौरव से जुड़े स्थलों के विकास की गति तेज होगी और लोग अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व कर सकेंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन और नागरिकों के बीच की दूरी को कम करने में भी मदद मिलेगी ।

सिंग्रामपुर ओपन एयर कैबिनेट सीएम डॉ.यादव और मंत्री गणों ने सिंगौरगढ़ किले और रानी दुर्गावती से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों का भी दौरा भी किया। इस भव्य ऐतिहासिक आयोजन में मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों का स्वागत स्थानीय जनजातीय सांस्कृतिक टीम द्वारा पारंपरिक शैली में किया जिसने क्षेत्र की अनूठी परंपराओं और गोंड की जीवंत संस्कृति के बोलते निशानों को उजागर करने का काम किया है । प्रदेश के इतिहास में यह पहली कैबिनेट है जो एक एक खुले क्षेत्र में आयोजित हुई। इसने रानी दुर्गावती के दौर की स्थापत्य कला का अनुपम नमूना पेश किया है। इसके खाद्य क्षेत्र को एक पारंपरिक गोंड गांव के आंगन की तर्ज पर सजाया गया, जहां मेहमानों ने हटा से लाए गए प्राचीन कांसे के बर्तनों में परोसे गए भोजन का आनंद पेड़ों के नीचे बैठकर लिया। कैबिनेट बैठक के लिए मंत्रियों के लिए विशेष कार्यालय गोंड कला और भित्ति चित्रों से प्रेरित होकर बनाए गए जिसने कार्य-क्षमता और सांस्कृतिक सौंदर्य का अनूठा संगम प्रस्तुत किया। इस बैठक के बहाने सिंगौरगढ़ किला, निदानकुंड जल प्रपात, प्राचीन दुर्गा माता मंदिर भी सभी के प्रकाश में आया।

इससे पहले मध्यप्रदेश में वीरांगना दुर्गावती के नाम पर पहली कैबिनेट बैठक जबलपुर में की गई थी। गोंडवाना साम्राज्य का जिक्र रानी दुर्गावती के बिना अधूरा है लेकिन इतिहास ने उनके साथ न्याय नहीं किया। आज अपने गौरव और मातृशक्ति के मान, सम्मान और स्वाभिमान की गौरवगाथा को जन जन तक पहुंचाने एवं पुनर्जीवित करने का काम प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.यादव कर रहे हैं। सीएम डॉ.यादव ने उस कैबिनेट की बैठक के दौरान जबलपुर एयरपोर्ट और सबसे बड़े फ्लायओवर का नाम वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम से किए जाने और तालाबों का जीर्णोद्धार करने की भी घोषणा की।

दशहरा पर शस्त्र पूजन करेगी मोहन सरकार

दशहरा जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसी कड़ी में डॉ. मोहन सरकार ने दशहरा पर शस्त्र पूजन का आयोजन करने का निर्णय लिया है, जो इस पर्व की महत्ता को और बढ़ाता है। शस्त्र पूजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी सुरक्षा और रक्षा के प्रतीक के रूप में भी कार्य करता है। मोहन सरकार का यह कदम सैन्य बलों के प्रति सम्मान प्रकट करता है।

डॉ. मोहन सरकार ने इस वर्ष दशहरा पर विशेष रूप से शस्त्र पूजन कार्यक्रम की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव स्वयं स्त्री शक्ति और सामर्थ्य को नमन के प्रतीक स्वरूप लोकमाता अहिल्या देवी की राजधानी महेश्वर में दशहरे पर शस्त्र पूजन करेंगें। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इस वर्ष दशहरा पर्व, शस्त्र पूजन के साथ मनाया जाएगा। सभी मंत्री अपने प्रभार के जिलों के पुलिस शस्त्रागार में शस्त्र पूजन करेंगे। मोहन सरकार की इस पहल से दशहरा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर और एकता का प्रतीक बनेगा। सीएम डॉ. मोहन यादव प्रदेश की आने वाली पीढ़ियों को सभी से सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने के साथ ही एक सशक्त भविष्य की ओर अग्रसर करने का पुनीत कार्य कर रहे हैं। उनके प्रयासों से प्राचीन संस्कृति के संरक्षण के साथ ही समाज में सांस्कृतिक जागरूकता भी बढ़ी है। यह एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे अपने ऐतिहासिक निर्णयों और फैसलों से एक नेता प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता की जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन लाने का काम कर रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह प्रयास निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगा और भारतीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को एक नई दिशा प्रदान करेगा।

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सनातन धर्म, संस्कृति की पताका पूरे देश में लहरा रही है। उनका समर्पण हमारी सांस्कृतिक परम्पराओं को पुनर्जीवित करने में सहायक साबित होगा।