केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मध्यप्रदेश सहित 4 राज्यों में रेलवे की 4 मल्टी-ट्रेकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है। करीब 24 हजार करोड़ की इन परियोजनाओं से रेलवे की क्षमता बढ़ेगी, यात्री सुविधा में सुधार होगा और नए रोजगार अवसर बनेंगे।
भारत के रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंगलवार को 4 राज्यों की 4 मल्टी-ट्रेकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं से न केवल रेल नेटवर्क की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि देश के माल परिवहन और यात्रियों की सुविधा में भी गुणात्मक सुधार होगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस ऐतिहासिक निर्णय पर प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताते हुए कहा कि “ये परियोजनाएं नए भारत की गति और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगी।”
18 जिलों को मिलेगा लाभ, 24 हजार करोड़ से बड़े पैमाने पर विकास
मंजूर की गई 4 मल्टी-ट्रेकिंग परियोजनाओं में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। ये परियोजनाएं कुल 18 जिलों और करीब 3,600 गांवों को जोड़ेंगी। इन पर कुल 24,634 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इन्हें वर्ष 2030-31 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अनुमान है कि इससे करीब 85 लाख से अधिक आबादी को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लाभ मिलेगा।
यह भी पढ़ें: आखिर ऐसा क्या हुआ, जो CM मोहन यादव को संतों से मांगनी पड़ी सार्वजनिक माफी?
मध्यप्रदेश को मिली बड़ी सौगात, पर्यटन और आर्थिक विकास को मिलेगा बल
राज्य के लिए सबसे प्रमुख परियोजना 237 किलोमीटर लंबी इटारसी–भोपाल–बीना चौथी लाइन है, जो न केवल मध्यप्रदेश के औद्योगिक व धार्मिक मार्गों को मजबूत करेगी बल्कि पर्यटन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को भी नई दिशा देगी। इसके अलावा गुजरात और मध्यप्रदेश के बीच 259 किलोमीटर लंबे बड़ौदरा–रतलाम तीसरी और चौथी लाइन, महाराष्ट्र में वर्धा–भुसावल के बीच 314 किलोमीटर की परियोजना और महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़ के बीच गोंदिया–डोंगरगढ़ चौथी लाइन को भी स्वीकृति दी गई है।
मध्यप्रदेश के जिन क्षेत्रों से यह लाइन गुजरेगी, उनमें सांची, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, भीमबेटका शैलाश्रय, हज़ारा जलप्रपात और नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान जैसे प्रसिद्ध स्थल शामिल हैं। इन स्थलों को रेल संपर्क मिलने से पर्यटन को नई ऊर्जा मिलेगी। साथ ही कोयला, सीमेंट, खाद्यान्न, स्टील और फ्लाई ऐश जैसी वस्तुओं के परिवहन में भी बड़ी राहत मिलेगी। रेलवे के मुताबिक, नई लाइनों के निर्माण से हर वर्ष करीब 78 मिलियन टन की अतिरिक्त माल ढुलाई संभव होगी, जिससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
पर्यावरण संरक्षण में भी बड़ा योगदान
सरकार का मानना है कि रेल नेटवर्क विस्तार से न केवल लॉजिस्टिक लागत घटेगी, बल्कि पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा। रेलवे के मुताबिक, नई परियोजनाएँ 28 करोड़ लीटर तेल आयात में कमी लाएंगी और 139 करोड़ किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन घटाने में मदद करेंगी — जो लगभग 6 करोड़ वृक्षों के बराबर हरित योगदान है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बयान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि “रेलवे की ट्रैक क्षमता बढ़ने से यात्रियों को बेहतर सेवा, रोजगार के नए अवसर और औद्योगिक कनेक्टिविटी के माध्यम से आत्मनिर्भरता का मार्ग मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी का विजन ‘गति शक्ति’ योजना वास्तव में भारत को नई ऊर्जा प्रदान कर रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि “मध्यप्रदेश अब राष्ट्रीय विकास यात्रा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और यह परियोजना इस दिशा में एक सशक्त कदम है।”
यह भी पढ़ें: मध्यप्रदेश में बनेगा अंतरराष्ट्रीय स्तर का कन्वेंशन सेंटर, फीरा बार्सिलोना इंटरनेशनल के साथ हुआ समझौता
