मध्य प्रदेश (MP Voter ID Case): टीकमगढ़ में केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार के आवास के पास 43 मतदाता पहचान पत्र मिलने से हड़कंप मच गया है। इनमें से कई कार्ड जले हुए पाए गए, जिससे चुनावी गड़बड़ी और धोखाधड़ी की आशंका गहराई है।

MP Voter ID Cards Found Near Minister Residence: मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में बड़ा चुनावी विवाद खड़ा हो गया है। सिविल लाइन रोड स्थित केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार के सरकारी आवास के पास 43 मतदाता पहचान पत्र (Voter ID Cards) बरामद हुए हैं। इनमें से कई कार्ड जले हुए हालत में मिले, जिससे दुरुपयोग की संभावना और गहरी हो गई है।

जले हुए वोटर कार्ड-धोखाधड़ी या चुनावी गड़बड़ी का संकेत?

टीकमगढ़ की Civil Line Road पर स्थित केंद्रीय मंत्री के आवास के पास मतदाता पहचान पत्रों का मिलना गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। आखिर 43 Voter ID Cards यहां कैसे पहुंचे? सूचना मिलते ही तहसीलदार सत्येंद्र सिंह गुर्जर राजस्व अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे और सभी Damaged और Burnt Voter ID Cards को कब्जे में लिया। प्राथमिक जांच में स्पष्ट हुआ कि कई कार्ड जानबूझकर नष्ट किए गए थे। यह घटना संभावित Voter ID Misuse की ओर इशारा करती है।

यह भी पढ़ें… Nepal Border से मिली MP की वकील अर्चना तिवारी-पुलिस ढूंढ रही 12 दिन का हिसाब, जानें सच

सांसद प्रतिनिधि की शिकायत और कलेक्टर का आदेश

इस मामले को सबसे पहले सांसद प्रतिनिधि विवेक चतुर्वेदी ने उठाया। उन्होंने तहसीलदार को जानकारी देकर न केवल जांच की मांग की बल्कि यह भी सवाल उठाया कि क्या इन वोटर आईडी कार्डों का सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं में दुरुपयोग हुआ है। इसके बाद कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय ने विस्तृत जांच के आदेश दिए।

प्रशासन ने जताई धोखाधड़ी की आशंका

कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय ने पूरे मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। जांच दल अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि ये कार्ड कहां से आए, किसके नाम पर जारी किए गए और आखिर इन्हें नष्ट करने की कोशिश क्यों की गई। तहसीलदार गुर्जर ने बयान दिया कि इन कार्डों का ऐसी हालत में पाया जाना संभावित धोखाधड़ी की ओर इशारा करता है। प्रशासन अब यह जांच कर रहा है कि ये पहचान पत्र आखिर कहां से आए, किन लोगों से जुड़े हैं और क्या इनका इस्तेमाल किसी अवैध गतिविधि में हुआ है।

अब जांच पर टिकी निगाहें

43 वोटर आईडी कार्ड का मामला केवल एक स्थानीय विवाद नहीं बल्कि एक बड़ी चुनावी गड़बड़ी का संकेत भी हो सकता है। अब सभी की निगाहें प्रशासन की जांच पर टिकी हैं, जो यह साफ करेगी कि यह महज लापरवाही थी या फिर किसी संगठित साजिश का हिस्सा।

यह भी पढ़ें… Archana Tiwari Missing Update: नया मोबाइल, नया नंबर और लव स्टोरी का राज़, किसने लिखी फरारी की स्क्रिप्ट?