सार

 बाबा महाकाल की नगरी यानि उज्जैन शहर से शॉकिंग खबर है। महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी के बेटे की रंगपंचमी के दिन मौत हो गई। चौंकाने वाली बात यह है कि शाम को वह ध्वज चल समारोह में शामिल होकर तलवारबाजी की और कुछ देर बाद उसकी जान चली गई।

उज्जैन (ujjain news). मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से दिल झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। बाबा महाकाल के एक पुजारी के साथ ऐसा हादसा हुआ है जिसने उनको जिंदगी भर का गम दे दिया। दरअसल पुजारी के 18 वर्षीय बेटे की साइलेंट अटैक से मौत हो गई। अटैक आने से पहले बेटे ने रंगपंचमी के दिन निकलने वाले महाकाल मंदिर के ध्वज चल समारोह में तलवार से प्रदर्शन भी किया, फिर घर पहुंचा तो घबराहट हुई और जबतक कुछ समझ पाते युवक के निकल गए प्राण। बेटे की पहचान मयंक शर्मा के रूप में हुई।

रंगपंचमी के जश्न में घुमाई तलवार, रात में सोया सुबह उठ न सका

मयंक शर्मा के पिता मंगेश शर्मा महाकालेश्वर मंदिर में पुजारी है। पिता को देखकर बेटे को भी पूजा- पाठ से लगाव हो गया वह भी पिता के साथ मिलकर मंदिर में पूजा पाठ का काम करता था। रंगपंचमी के दिन महाकाल से ध्वज चल समारोह का आयोजन किया गया था। मंदिर से जुड़े रहने के कारण मयंक भी इसमें शामिल होने को लेकर उत्साहित था। मयंक के साथ कुछ दोस्त भी शामिल होने वाले थे। किसी को नहीं पता था कि मयंक का यह आखिरी त्यौहार है।

रंगपंचमी के जश्न में घुमाई तलवार, रात में सोया सुबह उठ न सका

ध्वज समारोह से घर लौटा तो हुई घबराहट, हॉस्पिटल पहुंचे तब तक सब हुआ खत्म ध्वज समारोह में पहुंचने के बाद मयंक ने वहां के ढोल ताशों में जमकर बनेठी भांजी। इसके साथ ही साथ समारोह में शामिल लोगों के मनोरंजन के लिए तलवारबाजी का प्रदर्शन भी किया। गेर समारोह के बाद जब घर लौटा तो उसने घर वालों से घबराहट होने की बात कही। पहले घर वालों को लगा थककर आया है इसलिए ऐसा हो रहा। पर जब चक्कर खाकर गिरा तो तुरंत हॉस्पिटल लेकर गए जहां डॉक्टरों ने उसे जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों का मानना है कि मयंक की मौत साइलेंट अटैक आने से हुई होगी। जवान बेटे की मौत की खबर सुन परिवार में कोहराम मचा हुआ है। मयंक क्लास 11 वीं का छात्र था।

साइलेंट अटैक क्या होता है…

क्या होता है साइलेंट अटैक ऐसा हार्ट अटैक जिसमें दिल का दौरा पड़ने के कोई लक्षण नहीं होते है, उनको साइलेंट हार्ट अटैक की केटेगरी में रखा जाता है। साइलेंट हार्ट अटैक में व्यक्ति चेस्ट में दर्द की बजाए जलन को फील करता है।