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Mumbai Lalbaugcha Raja: मिल मजदूरों की प्रार्थना से कैसे हुआ लालबागचा राजा का जन्म? क्यों कहलाते हैं ‘नवसाचा गणपति’?
Lalbaugcha Raja Story: 1934 में मिल मजदूरों की प्रार्थना से जन्मा लालबागचा राजा, 90 सालों से मुंबई में आस्था और भक्ति का प्रतीक। साधारण चॉल से भव्य गणेश पंडाल तक का कैसा रहा सफर? नवसाचा गणपति की अनकही कहानी आज भी लाखों भक्तों को आकर्षित करती है।

मिल मजदूरों की प्रार्थना से जन्मा लालबागचा राजा
1934 में जब पेरू चॉल बाज़ार बंद हुआ, तो मिल मजदूर और मछुआरे बेहद कठिनाई में आ गए। रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करना मुश्किल हो गया। उन्होंने विघ्नहर्ता गणपति से एक स्थायी बाज़ार के लिए प्रार्थना की। उनकी आस्था रंग लाई, ज़मींदार राजाबाई तैय्यबली ने ज़मीन दी और लालबाग बाज़ार बना। आभार स्वरूप, ‘लालबागचा राजा’ सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल का गठन हुआ।
90 सालों का आस्था का सफर
एक साधारण चॉल से शुरू हुई गणेशोत्सव की यह यात्रा आज मुंबई के सबसे भव्य पंडाल में बदल चुकी है। 1934 से लेकर आज तक, लालबागचा राजा 90+ वर्षों से लोगों की आस्था और प्रेम का प्रतीक हैं। लाखों भक्त हर साल इस राजा के चरणों में मत्था टेकने आते हैं।
मुंबई की धड़कन-गणेशोत्सव
मुंबई में गणेश चतुर्थी सिर्फ़ त्योहार नहीं, बल्कि शहर की धड़कन है। ग्यारह दिनों तक गलियां ढोल-ताशों और बप्पा के जयकारों से गूंजती हैं। लेकिन इन सबके बीच सबसे ज़्यादा नज़रें जिस पर टिकी रहती हैं, वह हैं लालबागचा राजा-नवसाचा गणपति।
लालबागचा राजा का अपरिवर्तनशील रूप
1935 से अब तक लालबागचा राजा का स्वरूप लगभग एक जैसा ही है। सिंहासन पर विराजमान, आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ उठाए, शांत लेकिन शक्तिशाली चेहरा – यही उनकी पहचान है। बदलते समय में यह स्थिर रूप भक्तों के लिए आस्था का आधार बन गया।
नवसाची लाइन-मनोकामना पूर्ति का स्थल
लालबागचा राजा सिर्फ़ आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि नवसाचा गणपति हैं – जो भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। नवसाची लाइन में भक्त घंटों, कभी-कभी पूरे दिन खड़े रहते हैं, ताकि उनके चरणों को छू सकें और अपनी प्रार्थना रख सकें।
कांबली परिवार की कलात्मक परंपरा
लालबागचा राजा की मूर्ति का स्वरूप 1930 के दशक में मूर्तिकार मधुसूदन डोंडूजी कांबली ने गढ़ा था। तब से लेकर आज तक कांबली परिवार ही इस मूर्ति का निर्माण करता आ रहा है। वर्तमान में संतोष रत्नाकर कांबली इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
हर साल बदलता भव्य पंडाल
राजा के पंडाल की सजावट हर साल नई थीम पर होती है। कभी मंदिरों से प्रेरित, कभी महलों से, तो कभी वैश्विक स्मारकों से। भव्य सजावट, रोशनी और कला का संगम इसे मुंबई का सबसे आकर्षक गणेशोत्सव पंडाल बनाता है।
लालबागचा राजा 2025-नई सुविधाएं
गणेशोत्सव 2025 में लालबागचा राजा के दर्शन पहले से भी भव्य होंगे। इस बार पहली बार पंडाल में एयर-कंडीशंड दर्शन व्यवस्था होगी, ताकि भक्त लंबी कतारों में उमस भरे मौसम का सामना आसानी से कर सकें।
अनंत अंबानी का विशेष योगदान
पिछले साल अनंत अंबानी ने राजा को ₹15 करोड़ का 20 किलो का सोने का मुकुट चढ़ाया था। 2025 में भी वे उदार सहयोग कर रहे हैं-एयर-कंडीशन व्यवस्था, सजावट, रोशनी और भंडारे का प्रबंध। रोज़ाना लाखों भक्त यहां प्रसाद और भोजन पाते हैं।
15 करोड़ की लागत से तैयार 20 किलो सोने के मुकुट को अनंत अंबानी ने लाल बाग के राजा को भेट चढाई। pic.twitter.com/bhW5htnLUS
— P.N.Rai (@PNRai1) September 7, 2024
लालबागचा राजा प्रथम दर्शन 2025
गणेश चतुर्थी 2025 (27 अगस्त – 6 सितंबर) से पहले, 25 अगस्त को मूर्ति का प्रथम दर्शन होगा। मुंबई में भीड़ उमड़ेगी, ऑनलाइन लाइव स्ट्रीम होंगे और एक बार फिर नवसाचा गणपति – लालबागचा राजा, भक्तों की आस्था और प्रेम का केंद्र बनेंगे।