Maharashtra Social Media Rules: महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर सोशल मीडिया की लगाम कस दी है। क्या अब अभिव्यक्ति की आज़ादी खत्म हो रही है? न आलोचना, न पोस्ट…सिर्फ नियमों पर चर्चा। कौन करेगा अब सच्चाई की बात?

Govt Employee Social Media Policy: महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने कर्मचारियों के लिए नए सोशल मीडिया दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन नियमों के तहत अब कोई भी सरकारी कर्मचारी राज्य या केंद्र सरकार की मौजूदा या पूर्व नीतियों की सोशल मीडिया पर आलोचना नहीं कर सकता।

क्या सरकारी कर्मचारियों की अभिव्यक्ति की आज़ादी अब ख़तरे में है?

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी यह जीआर (सरकारी परिपत्र) पूरे राज्य में लागू होगा और इसका उल्लंघन करने पर महाराष्ट्र सिविल सेवा आचरण नियम 1979 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

क्या अब आलोचना करना भी अपराध है? 

दिशानिर्देशों के अनुसार, अब सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया पर नीतिगत आलोचना, सरकारी योजनाओं की कमियाँ, या किसी भी प्रकार की नकारात्मक राय साझा नहीं कर सकते। यह सवाल उठता है कि क्या यह सरकार द्वारा कर्मचारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा अंकुश नहीं है?

क्या-क्या नहीं कर सकते सरकारी कर्मचारी?

  1. सरकारी नीतियों की आलोचना
  2. आफीसियल गोपनीय डाक्यूमेंट शेयर करना
  3. सरकारी लोगो, वर्दी, वाहन, बिल्डिंग की तस्वीरें पोस्ट करना
  4. आत्म-प्रशंसा के नाम पर भ्रामक प्रचार
  5. नफरत, भेदभाव या मानहानि वाली सामग्री 

ऐसे में यह आशंका और बढ़ जाती है कि अब हर सोशल मीडिया पोस्ट पर प्रशासन की नजर रहेगी।

अब प्रचार सिर्फ अधिकृत अधिकारी ही कर सकेंगे

केवल राज्य सरकार द्वारा अधिकृत अधिकारी ही सक्षम अथॉरिटी की अनुमति से योजनाओं और जनभागीदारी से जुड़ी जानकारी पोस्ट कर सकते हैं। बाकी किसी भी कर्मचारी को इस तरह की जानकारी साझा करने की अनुमति नहीं है।

क्या सरकारी अकाउंट अब निजी नहीं रहेंगे? 

सरकारी कर्मचारी अब पर्सनल और ऑफीसियल यूज के लिए अलग-अलग अकाउंट बनाएंगे। रिटायर या ट्रांसफर से पहले उन्हें अपने सरकारी सोशल मीडिया अकाउंट को उत्तराधिकारी अधिकारी को सौंपना अनिवार्य होगा, ताकि कार्यों का सही समन्वय बना रहे। क्या इसका मतलब यह है कि कर्मचारी का डिजिटल स्पेस अब पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में आ जाएगा?

क्या यह 'डिजिटल अनुशासन' या 'डिजिटल सेंसरशिप' है? 

 इन नए नियमों से साफ है कि महाराष्ट्र सरकार अब सोशल मीडिया पर सरकारी छवि को लेकर किसी भी ढिलाई को बर्दाश्त नहीं करेगी। कर्मचारियों को अब हर पोस्ट, शेयर या फॉरवर्ड से पहले सोचना होगा-सरकारी सेवा में सोशल मीडिया अब "निजी" नहीं रहा।