सार

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की शानदार जीत। अब सवाल ये है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? एकनाथ शिंदे या फिर देवेंद्र फडणवीस? नतीजों के बाद महायुति के नेता इस पर फैसला लेंगे।

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति ने उम्मीद से भी ज़्यादा बढ़त हासिल की है. लेकिन, अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? सूत्रों के मुताबिक नई सरकार 26 नवंबर को शपथ लेगी. क्या वोटरों का दिल जीतने वाले एकनाथ शिंदे ही सीएम बने रहेंगे या फिर बीजेपी की इस जीत के सूत्रधार देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा?

सिर्फ़ पांच महीने पहले की बात है. लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में एनडीए को करारी हार का सामना करना पड़ा था. इसका असर राष्ट्रीय स्तर पर भी बीजेपी की हार पर पड़ा था. इस दौरान बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद से इस्तीफ़ा देने की पेशकश की थी. उस वक़्त उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र की राजनीति में तीन महीने का वक़्त बहुत लंबा होता है. उनके कहने का मतलब था कि विधानसभा चुनाव में रुझान बदल जाएगा. और हुआ भी ऐसा ही, नवंबर में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति ने विधानसभा चुनाव में ज़बरदस्त जीत हासिल की और इसके पीछे देवेंद्र फडणवीस की ही सबसे बड़ी भूमिका रही. दूसरी तरफ़ एकनाथ शिंदे. शिवसेना (एकनाथ) के नेता एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सीएम रहे. अब इन दोनों में से महायुति किसे महाराष्ट्र का सीएम बनाएगी, ये एक बड़ा सवाल है.

अभी तक बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति 288 विधानसभा सीटों वाले राज्य में 220 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि महा विकास अघाड़ी 57 सीटों पर आगे है. नागपुर साउथ वेस्ट में फडणवीस की जीत लगभग तय है, जबकि कोपरी-पचपखाड़ी सीट से एकनाथ शिंदे आगे चल रहे हैं. महायुति की इस जीत के बीच, बीजेपी की इस कामयाबी का श्रेय फडणवीस को जाता है, लेकिन अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, ये लोगों के ज़हन में सबसे बड़ा सवाल है.

देवेंद्र फडणवीस को ज़मीनी स्तर पर प्रचार करते हुए कई साल हो गए थे. उन्होंने बाग़ियों को शांत कराया और उन्हें मुँहतोड़ जवाब दिया. सीट शेयरिंग में बीजेपी के लिए सबसे अच्छा सौदा किया. विपक्षी दलों ने देवेंद्र फडणवीस की जाति को लेकर भी प्रचार किया. दो महीने तक उन्होंने बिना रुके प्रचार किया. अंकित जैन के मुताबिक, देवेंद्र को पहले से ही पता था कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन होगा.

'मुख्यमंत्री की रेस में देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे हैं. इससे बेहतर और क्या हो सकता है', इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद को लेकर कहा. एकनाथ शिंदे के समर्थक मानते थे कि शिंदे ही अगले सीएम होंगे, लेकिन बाद में ये बात ठंडी पड़ गई.

इस महीने की शुरुआत में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि महाराष्ट्र चुनाव के बाद महायुति के नेता तय करेंगे कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. उन्होंने कहा था, 'अभी एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं. चुनाव के बाद, तीनों पार्टनर मिलकर सीएम पद पर फैसला करेंगे'. वहीं, महायुति में शामिल शिवसेना ने भी कहा था कि उन्हें बीजेपी नेता के सीएम बनने पर कोई आपत्ति नहीं है.

शनिवार के नतीजों के बाद, महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के दोबारा सीएम बनने की संभावना बढ़ गई है. बीजेपी ने महाराष्ट्र में 149 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 124 सीटों पर आगे चल रही है. इसका मतलब है कि पार्टी ने 83% का स्ट्राइक रेट बनाए रखा है.

काम कर गया 'बाटेंगे तो काटेंगे': लोकसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल इलाक़ा रहे धुले के विधानसभा क्षेत्र मालेगांव सेंट्रल में देवेंद्र ने कांग्रेस उम्मीदवार के ख़िलाफ़ हिंदू वोटों को एकजुट किया. यहां उनके 'बाटेंगे तो काटेंगे' वाले बयान का ज़बरदस्त असर पड़ा. इस बयान ने इस इलाक़े में हिंदू वोटों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई.

एकनाथ शिंदे ख़ुद एक मज़बूत मराठा नेता के तौर पर उभरे हैं और शिवसेना के शानदार प्रदर्शन के ज़रिए उन्होंने साबित कर दिया है कि वो बाल ठाकरे की विरासत के असली वारिस हैं. शिंदे की सेना ने 81 सीटों पर चुनाव लड़ा और 55 पर आगे चल रही है, इस पार्टी ने 81% का स्ट्राइक रेट बनाए रखा है.

शिंदे की 'लड़की बहन' योजना को गेम चेंजर माना जा रहा है और इससे महिला वोटरों को लुभाने में मदद मिली है. उनका ये कहना भी असरदार रहा कि अगर कांग्रेस के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सत्ता में आती है तो वो गारंटी के नाम पर राज्य को कर्ज़ में डुबो देगी. देवेंद्र फडणवीस ने ही महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराकर उद्धव ठाकरे को सीएम पद से हटाया था. उस वक़्त उन्होंने ख़ुद मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा छोड़कर एकनाथ शिंदे को ये ज़िम्मेदारी सौंपी थी.

2014 से 2019 तक फडणवीस महाराष्ट्र के सीएम रहे. लेकिन, जब महायुति सरकार बनी तो उन्होंने एकनाथ शिंदे के साथ उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम किया. बाद में उन्होंने अपने साथी अजित पवार के साथ उपमुख्यमंत्री का पद साझा किया. लेकिन शनिवार के चुनावी नतीजों के बाद फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की मांग तेज़ हो गई है.