Maratha Quota Alert: मनोज जरांगे पाटील ने भूख हड़ताल के चौथे दिन अब पानी भी छोड़ दिया, स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ा। आंदोलनकारी मुंबई की ओर तेज़, सरकार क्या करेगी? क्या एतिहासिक Maratha Kumbi रिकॉर्ड आंदोलन को नई दिशा देगा?

Manoj Jarange Patil Hunger Strike: मराठा आरक्षण आंदोलन का चौथा दिन मनोज जरांगे पाटील के लिए बेहद गंभीर होता जा रहा है। आज उन्होंने भूख हड़ताल में अनाज के साथ-साथ पानी भी लेना बंद कर दिया, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है। डॉक्टरों की टीम ने देर रात उनका ब्लड प्रेशर, शुगर और अन्य स्वास्थ्य पैरामीटर जांचे। ORS और पानी लेने की सलाह दी गई, लेकिन जरांगे पाटील ने इंकार कर दिया।

क्या सरकार को मिलेगी जरांगे पाटील को मनाने में कामयाबी? 

मराठा आरक्षण समिति के पूर्व सदस्य मधुकर अर्धड ने जरांगे पाटील से 45 मिनट मुलाकात की और उन्हें मराठवाड़ा के पांच जिलों में 'मराठा कुणबी' ऐतिहासिक दर्ज रिकॉर्ड पेश किए। उनका दावा है कि 35-40% रेकॉर्ड्स में मराठा कुणबी दर्ज हैं, जो आरक्षण की लड़ाई में अहम आधार बन सकते हैं। हैदराबाद गजेट्स और मोडी लिपी के दस्तावेज़ भी जरांगे के सामने रखे गए।

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आंदोलन स्थल पर बढ़ता तनाव-बीएमसी ने की विशेष व्यवस्था 

जरांगे पाटील के पानी न पीने के फैसले से आंदोलन स्थल पर तनाव बढ़ा हुआ है। बीएमसी ने आज़ाद मैदान में जमा कीचड़ और बरसात के पानी को हटाने के लिए पत्थर की गिट्टी बिछाई। स्वयंसेवकों ने इसे फैलाकर आंदोलनकारियों के लिए जगह समतल की। इस तैयारी के बावजूद, आंदोलनकारियों का संकल्प स्पष्ट है – वे सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं।

मुंबई की ट्रैफिक स्थिति और आंदोलनकारियों का रुख 

आज मुंबई में ट्रैफिक सुचारू है। ईस्टर्न फ्रीवे पर गाड़ियों की आवाजाही सामान्य है, लेकिन आंदोलनकारियों की गाड़ियां बड़ी संख्या में शहर में पहुंच रही हैं। नांदेड से आए आंदोलनकारी चर्चगेट रेलवे स्टेशन पर रातभर डेरा डाले। यात्रियों के रास्तों पर चटाई बिछाई गई और सैकड़ों लोग स्टेशन परिसर में सोए।

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आंदोलन और सरकार के बीच बढ़ता टकराव 

मनोज जरांगे पाटील का आंदोलन आज चौथे दिन में प्रवेश कर गया है। स्वास्थ्य पर खतरा गहराता जा रहा है, और सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। आज राज्य सरकार जरांगे पाटील से बात करने की पहल कर सकती है। कुछ मंत्री भी मौके पर जाकर उनसे मिल सकते हैं। सवाल यह है – क्या इस संघर्ष का हल जल्द निकल पाएगा या आंदोलन और तेज होगा?