मीम में वायरल राजेंद्र पंचाल बचपन में गिरने के कारण 38 साल तक सिर्फ तरल आहार पर जीवित रहे। 2017 में डॉक्टरों ने एक मुफ्त सर्जरी से उनका जबड़ा ठीक किया। इसके बाद वे पहली बार ठोस भोजन खा सके और साफ बोल पाए।

पुणेः ऊपर दिखाई गई इस फोटो को आपने सोशल मीडिया पर कई मीम्स और ट्रोल्स के रूप में देखा होगा। कई एक्स (X) अकाउंट्स पर इस फोटो का गलत इस्तेमाल भी हुआ। भारतीयों के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी करने के लिए कई लोगों ने इस फोटो का इस्तेमाल किया। लेकिन शायद ही किसी को पता हो कि इस टेढ़े-मेढ़े चेहरे वाली फोटो के पीछे एक बहुत बड़ी दर्दभरी कहानी है। इस फोटो में दिख रहे शख्स का नाम राजेंद्र पंचाल है। महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले राजेंद्र पंचाल सिर्फ एक साल की उम्र में नीचे गिर गए थे, जिसकी वजह से पिछले 38 सालों से वो सिर्फ लिक्विड डाइट पर ही जी रहे थे। गिरने की वजह से उनके जबड़े में गंभीर चोट आई थी। इस चोट के कारण उन्हें टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट एंकिलोसिस हो गया, जिससे उनका जबड़ा खोपड़ी से जुड़ गया।

38 साल तक सिर्फ लिक्विड डाइट पर जिंदा रहे राजेंद्र पंचाल

राजेंद्र पंचाल के माता-पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे इसका इलाज करा पाते। नतीजा यह हुआ कि घटना के बाद से लेकर हाल ही में हुए ऑपरेशन तक, उन्होंने कम से-कम 38 साल सिर्फ लिक्विड डाइट पर ही गुजारे। तब तक उन्होंने कभी भी ठोस खाना नहीं खाया था। वे दूध, सूप जैसी चीजें पीकर ही जिंदा रहे। अपने जबड़े की वजह से हुई इस हालत के कारण वे बहुत दर्द में रहते थे। लेकिन उनमें जीने की जबरदस्त इच्छा थी। इसलिए, शारीरिक तकलीफ, लोगों के ताने और कुपोषण, इन सब के बावजूद, वे एक जगह हेल्पर के तौर पर काम करते हुए 2017 तक सम्मान से जी रहे थे।

आखिरकार राजेंद्र पंचाल की जिंदगी में आ गया नया सवेरा

लेकिन साल 2017 उनकी जिंदगी में एक बड़ा मोड़ लेकर आया। राजेंद्र का मुड़ा हुआ जबड़ा उनके दांतों को छूने लगा था। इसके साथ ही, उनका ओ-नेगेटिव ब्लड ग्रुप होने की वजह से उन्हें एनेस्थीसिया देना बहुत जोखिम भरा था। फिर भी, डॉक्टर जे.बी. गार्डे और डॉक्टर गौरव खुतवाड़ ने जोखिम उठाते हुए, बहुत सावधानी से उनके फंसे हुए जबड़े की हड्डी को ठीक करने की कोशिश की। और वो भी बिल्कुल मुफ्त में। आखिरकार, ये डॉक्टर इसमें सफल भी हुए।

नतीजतन, कुछ ही दिनों में राजेंद्र पंचाल अपना मुंह खोलकर साफ-साफ बात करने लगे। इसके साथ ही, करीब 40 साल बाद पहली बार वे ठोस खाने का स्वाद चख पाए। इस बदलाव से उन्हें जो खुशी मिली, उसका कोई ठिकाना नहीं था। देखा आपने, कैसे एक निगेटिव तरीके से वायरल हुए मीम में शेयर की गई एक मासूम की फोटो के पीछे इतनी बड़ी दर्दभरी कहानी छिपी है। राजेंद्र पंचाल वाकई हिम्मत, आत्मविश्वास, सहानुभूति और उम्मीद की एक मजबूत मिसाल हैं।