सार
देश के रिमोट एरिया के गांवों में मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित हैं। शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य के लिए लोगों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ती है। महाराष्ट्र के एक गांव में पिता को इलाज के लिए एक बेटे को उन्हें खटिया पर लादकर 14 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।
गढ़चिरौली: देश दर्जनों गांव आज भी रोड कनेक्टिविटी और स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं। गढ़चिरौली के भाटपार गांव में कोई अगर बीमार पड़ जाए तो खटिया पर लादकर पैदल 14 किलोमीटर दूर अस्पताल लेकर जाने के लिए अलावा कोई उपाय नहीं है। गुरुवार को भाटपार गांव के एक आदिवासी व्यक्ति खेत में काम करते हुए घायल हो गया। बुजुर्ग पिता की जान बचाने के लिए बेटे ने लोगों की मदद से उनको खाट पर लादकर पैदल अस्पताल पहुंचाया। इलाज के बाद उनको खाट पर ही लादकर वापस लाना पड़ा।
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खाट पर लादकर पहुंचाया अस्पताल, दवा कराकर खाट पर ही लौटे वापस
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिला, भामरागढ़ तहसील के भाटपार गांव के 67 वर्षीय मल्लू मज्जी गुरुवार को अपने खेत में काम करते समय घायल हो गए। अस्पताल गांव से करीब 14 किलोमीटर दूर था। नदी पर पुल नहीं होने की वजह से घायल को ले जाने का कोई साधन भी गांव में नहीं है। मल्लू के बेटे पुसु मज्जी ने गांव के लोगों से सहायता मांगी। मल्लू मज्जी को खाट पर लादकर पैदल ही गांववाले भामरागढ़ अस्पताल पहुंचे। बीच में एक नदी भी नाव से पार करनी पड़ी। काफी परेशानी झेलकर अस्पताल पहुंचे परिजन ने मल्लू को भर्ती कराया। डॉक्टर्स से परामर्श और दवा लेने के बाद खाट पर लादकर वापस लौट गए।
दरअसल, एक अदद पुल की कमी से भाटपार गांव मुख्यालय से कटा हुआ है। अस्पताल से लेकर किसी भी आवश्यकता के लिए लोगों को कम से कम 14 किलोमीटर पैदल और फिर नाव से नदी पारकर जाना पड़ता है।
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