सार
होली का त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। ऐसे में महाराष्ट्र का एक गांव ऐसा भी है। जहां होली पर दामाद खास मेहमान होता है और उसे गधे पर बिठाकर पूरा गांव घूमाया जाता है।
बीड. होली का त्योहार आते ही बच्चे से लेकर बड़े तक सभी में उत्साह नजर आता है। क्योंकि रंगों का यह त्योहार एक मात्र ऐसा त्योहार है। जो एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर मनाया जाता है। अच्छी बात तो यह है कि जहां अन्य त्योहार लोग घर अंदर ही मना लेते हैं। वहीं ये त्योहार घर के बाहर ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ मनाया जाता है। इस खास त्योहार पर हम आपको ऐसी ही एक अनोखी होली के बारे में बताने जा रहे हैं।
महाराष्ट्र के इस गांव में अनोखी होली
हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के बीड़ जिले में स्थित केज तहसील के गांव विडा की, यहां होली पर अजीब ही तरह की परंपरा का निर्वहन किया जाता है। जिसमें नया नवेला दामाद खास मेहमान होता है। उसे होली पर आने का स्पेशल निमंत्रण दिया जाता है। फिर उसके साथ पूरा गांव भी होली खेलता है। लेकिन इस दौरान दामाद को गधे पर बिठाकर पूरा गांव घूमाया जाता है। हालांकि इस दौरान दामाद को पूरा सम्मान दिया जाता है। होली खेलने के बाद दामाद को भेंट स्वरूप नए कपड़े और अन्य उपहार भी दिए जाते हैं।
86 साल से चली आ रही पंरपरा
बीड़ जिले के विडा गांव में ये पंरपरा पिछले 86 साल से निभाई जा रही है। गांव के जिस जिस की बेटी की शादी हालही हुई होती है। वह पहली होली पर नए नवेले दामाद को स्पेशल रूप से बुलाते हैं। फिर उसे गधे पर बिठाकर पूरा गांव घूमाते हैं। इस दौरान पूरे गांव के लोग रिश्तेदारों के साथ होली खेलते हैं। जिसके बाद गांव के मंदिर पर पहुंचकर यह होली समारोह सम्पन्न होता है। जहां दामाद को तिलक लगाकर कपड़े और अन्य उपहार दिए जाते हैं।
इस कारण चली आ रही परंपरा
बताया जा रहा है कि बीड़ जिले के विडा येवता गांव में सालों पहले एक देशमुख परिवार रहता था। यहां जब उनकी बेटी की शादी हुई तो उनका दामाद होली खेलने के लिए आए। लेकिन दामाद ने होली खेलने से मना कर दिया। इसके बाद ससुर ने दामाद को होली खेलने के लिए खूब मनाया। इसके बाद जब दामाद राजी हो गया तो ससुर ने एक गधा बुलवाया। जिसे फूलों से सजाकर उस पर दामाद को बिठाया और पूरे गांव में घूमाया, चूंकि जिस परिवार में ये घटना हुई उस परिवार को पूरा गांव बहुत मानता था। पूरा गांव इस परिवार का सम्मान करता था। इस कारण तभी से इस गांव में जिसकी भी बेटी की शादी होती है। तो पहली होली पर दामाद को स्पेशल रूप से बुलाकर गधे पर बिठाया जाता है।
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हनुमान मंदिर पहुंचकर होता है समापन
यदि इस गांव में किसी साल चार पांच या जितने भी घरों में बेटी की शादी होती है। तो उतने ही गधों पर नए दामादों को बिठाकर एक साथ पूरे गांव में घूमाया जाता है। फिर गांव के हनुमान मंदिर पहुंचकर गांव भ्रमण पूरा होता है। फिर दामाद का सम्मान कर उन्हें कपड़े और उपहार दिए जाते हैं। ये परंपरा आज भी चल रही है।
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