नई दिल्ली. 'जब तक है जान, करते रहें काम' कितनी बढ़िया बात है और इस बात को अपने जीवन का मूलमंत्र बनाया है दिल्ली की 'परांठे वाली आंटी' ने। ये आंटी दिल्ली की सड़कों पर एक छोटा सा स्टॉल लगाकार भूखे लोगों का पेट भर रही हैं। उनके जीवन का संघर्ष काफी मुश्किलों भरा रहा है। उन्होंने ऐसे भी दिन देखे हैं जब खुद उनके घर में रोटी के लाल्हे पड़े हुए थे, खाने और कमाने को वो परिवार की मदद करती थीं। बेटी का तलाक हुआ तो उसका और नाती-नातिन का पेट पालने वो सड़कों पर ठेला लगा दो पैसे कमाने के लिए परांठे बनाकर बेचने लगीं। आज यही 'परांठे वाली आंटी' सुबह से रात तक 150 से ज्यादा लोगों को खाना खिलाती हैं। दिल्ली जैसे महंगे शहर में बहुत कम पैसों में वो भरपेट मुहैया करवाती हैं। आइए जानते हैं उनके गरीबी के दिनों से लेकर दूसरों की अन्नपूर्णा बनने तक का सफर......