Amer Fort Durability : जयपुर का 450 साल पुराना आमेर किला बिना सीमेंट के बना है, जिसकी दीवारें आज भी मजबूत हैं। हाल ही में बारिश और नमी से एक छोटी दीवार गिर गई। ASI ने कहा कि इसका किले की स्थिरता पर असर नहीं पड़ा है, पर संरक्षण जरूरी है।
Jaipur Heritage : जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार आमेर किला न केवल अपनी खूबसूरती बल्कि अपनी अद्वितीय मजबूती के लिए भी जाना जाता है। 16वीं सदी में राजा मान सिंह द्वारा निर्मित यह किला लगभग 450 साल पुराना है और आज भी मजबूती की मिसाल माना जाता है। हाल ही में किले की एक दीवार गिरने की खबर ने सभी को चौंका दिया, क्योंकि यह किला उन दुर्लभ निर्माणों में से है जो बिना सीमेंट के बनाए गए थे और सदियों तक वक्त की हर मार झेलते रहे।
बिना सीमेंट की मजबूत दीवारें
इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना आमेर किला हल्के पीले और गुलाबी बलुआ पत्थर तथा सफेद संगमरमर से बना है। इसकी दीवारें चूने, मिट्टी और प्राकृतिक सामग्रियों से जोड़ी गई हैं। यह प्राचीन राजपूतकालीन तकनीक न केवल पर्यावरण के अनुकूल थी बल्कि इमारत को मजबूत और टिकाऊ भी बनाती थी। यही कारण है कि आमेर किले की अधिकांश दीवारें आज भी उतनी ही मजबूत हैं जितनी सदियों पहले थीं।
कैसे गिरी आमेर किले की एक दीवार?
विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में हुई लगातार बारिश और नमी ने कमजोर हिस्सों को प्रभावित किया होगा। समय-समय पर किए जाने वाले संरक्षण कार्यों के बावजूद, कुछ हिस्से प्राकृतिक कारणों से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों के अनुसार, गिरा हुआ हिस्सा बहुत छोटा था और इसका किले की संपूर्ण संरचना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
क्यों है आमेर किला आज भी आधुनिक इमारतों से ज्यादा मजबूत?
- आज के कंक्रीट भवन जहां कुछ दशकों में ही दरारें दिखाने लगते हैं, वहीं आमेर किला 450 साल से बारिश, धूप, भूकंप और युद्धों की मार सहता आ रहा है। इसका रहस्य इसके निर्माण में है – पत्थरों की सटीक तराशी, चूने और गुड़ के मिश्रण से बनी मजबूत पकड़, और पहाड़ी पर इसकी रणनीतिक स्थिति।
- विशेषज्ञों का कहना है कि इस घटना को चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। आधुनिक तकनीक की मदद से किले की नियमित जांच और मरम्मत जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसकी भव्यता का आनंद ले सकें।
- आज भी हजारों पर्यटक आमेर किले का दीदार करने आते हैं। इसका शीश महल, दीवान-ए-आम, सोहा मंदिर और भूमिगत सुरंगें इतिहास की जीवंत झलक पेश करती हैं। हाल ही में गिरी दीवार ने भले ही चिंता बढ़ाई हो, लेकिन आमेर किला आज भी मजबूती और राजस्थानी शिल्पकला का अनुपम उदाहरण है।
