International Labour Day 2025 : राजस्थान के किरताराम मेघवाल 7 बार लेक्चरर परीक्षा में फेल होने के बाद मजदूरी करने लगे। लेकिन हार नहीं मानी और 8वीं बार में ज्योग्राफी प्रोफेसर बनकर सबको प्रेरित किया।
बाड़मेर. International Labour Day 2025 : हमारे साथ हमेशा ऐसा होता है कि यदि किसी काम को करने में हम दो से तीन बार असफल हो जाते हैं तो फिर हम वह काम छोड़ देते हैं। लेकिन क्या कभी ऐसा हुआ है कि सात बार आपको किसी चीज में असफलता मिले लेकिन आप उसे करने में ही लगे रहे। और फिर आपको ऐसी सफलता मिले जो आपकी जिंदगी ही बदल दे। International Labour Day 2025 (मजदूर दिवस) पर जानिए एक ऐसे मजदूर की कहानी जो एक परीक्षा में 7 बार फेल हुआ, लेकिन हिम्मत नहीं हारा, आखिरकार उसने 8वीं बार में अनोखी सफलता हासिल की।
पिता मजदूरी तो बड़ा भाई करता दर्जी का काम
कुछ ऐसा ही राजस्थान के बाड़मेर के रहने वाले किरताराम मेघवाल के साथ हुआ। जो हाल ही में ज्योग्राफी प्रोफेसर के पद पर नौकरी लगे हैं। यह मूल रूप से बाड़मेर जिले के नेगराडा गांव के रहने वाले हैं। हमेशा से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा ठीक नहीं थी। पिता मजदूरी का काम करते थे जिनकी कमाई से ही घर चलता था। जबकि बड़ा भाई जोगाराम दर्जी का काम करता था।
जियोग्राफी सब्जेक्ट ने बना दिया करियर
गांव की स्कूल में ही इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। शुरू से ही इन्हें जियोग्राफी सब्जेक्ट में काफी इंटरेस्ट था। इन्होंने कॉलेज पूरी करने के बाद लेक्चरर बनने के लिए सात बार परीक्षा दी और सातों बार ही यह असफल हुए। लेकिन इन्हें विश्वास था कि आखिर एक न एक दिन है सफलता जरूर मिलेगी। आठवीं बार परीक्षा देने का फैसला किया।
घरवालों के मूल मंत्र ने दिला दी सफलता
आठवीं बार इन्होंने अपनी परीक्षा की तैयारी में पूरी मेहनत की। मेघवाल बताते हैं कि सात बार जब फेल हो चुके थे तब पिता के साथ मजदूरी करना शुरू कर दिया था। लेकिन घरवालों ने हिम्मत दी कि बेटा आज नहीं तो कल तुम्हें सफलता जरूर मिलेगी।
राजस्थान लोक सेवा आयोग ने किया एक और ऐलान
बस फिर क्या था राजस्थान लोक सेवा आयोग ने जैसे ही जियोग्राफी सब्जेक्ट के लिए भर्ती परीक्षा की घोषणा की। उसकी पढ़ाई के लिए किरताराम मेहनत करते रहे और आखिरकार परीक्षा में पास हो गए।
