सार
राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस सीएम अशोक गहलोत लोक लुहावनी घोषणा कर ही रहे है। साथ ही जीत पक्की करने के लिए पार्टी के नेता भगवान हनुमान का आशीर्वाद लेंगे। पार्टी ने अपने कैंडिडेट ने को टिकट देने के लिए पॉलिसी तैयार की है।
चूरू (churu News). राजस्थान में विधानसभा चुनाव में अब 4 महीने से भी कम का समय बचा हुआ है। एक तरफ जहां अब राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं ने अपनी सभाएं शुरू कर दी है। वही राजस्थान में भी अब कांग्रेस पार्टी ने अपनी कमर कस ली है। 1 जुलाई से कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से चुनावी मोड में आ जाएगी। हालांकि इसके पहले कांग्रेस के नेता भगवान हनुमान का आशीर्वाद लेंगे। इसके बाद राजस्थान में विधायकों के चेहरे तैयार होने शुरू हो जाएंगे।
राजस्थान कांग्रेस सालासर में दो दिनी ट्रेनिंग प्रोग्राम रखा
आपको बता दें कि राजस्थान में 1 और 2 जुलाई को चूरू जिले के प्रसिद्ध सालासर धाम में कांग्रेस का दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर होने जा रहा है। जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित राजस्थान सरकार की तमाम मंत्री और कांग्रेस विधायक शामिल होने वाले हैं। 2 दिन तक चलने वाले इस शिविर में राजस्थान में कांग्रेस के कई केंद्रीय नेता भी शामिल होंगे। यह प्रशिक्षण शिविर होने के बाद से ही राजस्थान में कांग्रेस अपने चुनावी चेहरे तैयार करना शुरू कर देगी।
कांग्रेस पार्टी चुनाव से 1-2 महीने पहले दे सकती है नेताओं को टिकट
राजनीतिक जानकारों की मानें तो गत वर्ष यानि साल 2018 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले अपनी टिकट जारी की थी। नतीजा यह निकला कि पार्टी में खेमे बाजी सामने आई। वहीं कई बड़े नेता बागी भी हो गए। लेकिन अब राजस्थान में कांग्रेस पार्टी यह गलती नहीं दोहराना चाहती है। कांग्रेस पार्टी का यह प्लान है कि चुनाव से एक दो महीने पहले ही पार्टी का प्रत्याशी चेहरा घोषित कर दिया जाए। ठीक वैसे ही जैसे कर्नाटक में किया गया पहले तो 124 उम्मीदवार घोषित किए गए और उसके बाद बचे हुए 42 उम्मीदवार। वहीं बीते साल राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस द्वारा टिकट जारी करने के बाद अपनी टिकट जारी की थी।
वहीं राजनीतिक जानकारों की माने तो पार्टी के सीनियर लीडर प्रत्याशी चेहरा घोषित करने के बाद जनता में इसका प्रचार नहीं करेंगे हालांकि उसे व्यक्तिगत तौर पर बता दिया जाएगा जिससे कि वह अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दे। बताया जा रहा है कि इस पॉलिसी को लेकर राजस्थान में जल्द ही एक बैठक भी होने वाली है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो 2 महीने पहले प्रत्याशी घोषित करने का फायदा यह मिलेगा कि उसे ग्राउंड पर काम करने का और लोगों से फेस टू फेस होने का मौका मिलेगा।