सार

बाड़मेर के चौहटन में मरुकुभ सुईयां पोषण मेले का भव्य आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कलेक्टर टीना डाबी ने 10 लाख से ज़्यादा लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए प्रशासन और पुलिस टीम की सराहना की।

बाड़मेर (राजस्थान). बाड़मेर जिले के चौहटन कस्बे में आयोजित मरुकुभ सुईयां पोषण मेले ने अपनी अनूठी परंपराओं और व्यापक जनसहभागिता के साथ एक नई मिसाल कायम की। जिला कलेक्टर टीना डाबी ने इस आयोजन की सफलता पर पूरी प्रशासनिक और पुलिस टीम के साथ मठ प्रबंधन को बधाई दी। कलेक्टर ने कहा कि यह मेला हमारे लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन सुनियोजित तैयारियों और टीमवर्क के दम पर इसे सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।

1600 पुलिसकर्मियों की तैनाती में हुआ था यह इवेंट

इस मेले की तैयारियां एक महीने पहले ही शुरू कर दी गई थीं। जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और अन्य संबद्ध विभागों के साथ कई बैठकें आयोजित की गईं। संभागीय आयुक्त और रेंज आईजी ने भी तैयारियों का जायजा लिया। मेला स्थल पर सुरक्षा और व्यवस्थाओं के लिए 1600 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई, जिनमें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और उप अधीक्षक भी शामिल थे। सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर जवान तैनात रहे और दो पारियों में ड्यूटी लगाई गई।

100 सीसीटीवी कैमरेऔर कई वॉकीटॉकी और वायरलैस लगाए

चौहटन कस्बे में मेला स्थल की निगरानी के लिए 100 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। एक कंट्रोल रूम की स्थापना की गई, जहां मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिद्धार्थ पलनीचामी ने स्वयं निगरानी की। वॉकीटॉकी और वायरलैस हैंड सेट्स का उपयोग कर मोबाइल नेटवर्क की अनुपस्थिति में भी संचार व्यवस्था सुचारु रही।

10 हजार वाहन और लाखों लोग पहुंचे थे

मेले में आने वाले श्रद्धालुओं और वाहनों की संख्या को ध्यान में रखते हुए 10,000 वाहनों की पार्किंग के लिए अलग-अलग स्थानों पर विशेष इंतजाम किए गए। उपखंड अधिकारी कुसुमलता चौहान के निर्देशन में पार्किंग का प्रबंधन किया गया। जब से मिला शुरू हुआ तब से लेकर मेला खत्म होने तक हर रोज कलेक्टर लोगों के बीच पहुंची और उनसे बातचीत की । व्यवस्थाओं का जायजा लिया और लोगों से डिसिप्लिन बनाए रखने के लिए धन्यवाद भी कहा।

कुशलता और समर्पण का बना अद्भुत उदाहरण

मेले की व्यवस्थाओं को संभालने के लिए 13 मेला मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए, जिन्होंने नोडल अधिकारी सिद्धार्थ पलनीचामी और सह नोडल अधिकारी राजेंद्र सिंह चांदावत के निर्देशन में काम किया। यह मेला न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव रहा बल्कि प्रशासनिक कुशलता और समर्पण का भी अद्भुत उदाहरण बन गया।

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