सार

राजस्थान के जोधपुर कमिश्नरेट से एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। यहां पुलिस विभाग में ट्रैफिक पुलिस की ओर से काटे जाने चालान की राशि के गबन का खुलासा हुआ है। आरोपी पूर्व कैशियर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

जोधपुर. प्रदेश में आए दिन घोटाले सामने आ रहे हैं। इसके लिए ईडी या एसीबी पुलिस कर्मियों के साथ आरोपी के घर छापेमारी करती है, लेकिन अब जब पुलिस विभाग में ही घोटाला सामने आए तो क्या किया जाए। राजस्थान के जोधपुर कमिश्नरेट से ऐसा ही एक मामला सामने आया है। यहां पुलिसकर्मियों ने दिनभर धूप में खड़े रहकर जो जिन वाहनों के चालान काटे उसके लाखों रुपए उनके ही डिपार्टमेंट का कैशियर डकार गया। पूरे रिकॉर्ड की जांच के दौरान इस घोटाले का पता चला।

28 अगस्त को पुलिस हेडक्वार्टर से गड़बड़ी की शिकायत
वर्तमान में जोधपुर कमिश्नरेट कैशियर प्रवेंद्र सिंह ने सरदारपुरा थाने में शिकायत देकर बताया है कि उनके पास 28 अगस्त को पुलिस हेड क्वार्टर से फोन आया जिसमें बताया गया कि आरटीओ और कमिश्नरेट से मिलने वाले चालान के आंकड़ों में अंतर आ रहा है। जून और जुलाई के महीने में जो राशि चालान की आई वह बैंक में नहीं है और न ही नगदी मौजूद है।

पढ़ें. जल जीवन मिशन में घोटाला: राजस्थान के जयपुर और अलवर में ईडी की रेड, पाइपलाइन बिछाने में किया ‘खेल’

जांच में ही 43.87 लाख के गबन का खुलासा
घटना के बाद जब विभाग ने जांच शुरू की तो पता चला कि बैंक चालान पर फर्जी सील और बैंक कर्मियों के हस्ताक्षर कर रसीद डिपार्टमेंट में दे दी गई। इसके बाद तत्कालीन कैशियर हेमंत पालावत को गिरफ्तार किया गया। फिलहाल पूरी घटना के बाद हेमंत पालावत को 3 दिन के डिमांड पर लिया गया है। पुलिस के मुताबिक हेमंत ने करीब 43.87 लाख का गबन किया है। मामले में जांच की जा रही है।

पढ़ें.  राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिर में घोटाला: आरोपी डकार गए 123 करोड़, अब हाई लेवल एजेंसी करेगी पूरे मामले की जांच

पहले भी कई विभागों में हुई है ऐसी गड़बड़ियां
राजस्थान में किसी डिपार्टमेंट में गबन का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले अन्य भी कई विभागों में इसी तरह के गबन के मामले सामने आ चुके हैं। क्योंकि विभागों में हिसाब किया तो 3 महीने या फिर 6 महीने या फिर साल होने पर किया जाता है। ऐसे में पता ही नहीं चल पाता कि आखिर गड़बड़ हुई तो कहां हुई फिलहाल अब देखना होगा कि इस पूरे मामले में पुलिस आगे क्या करती है।