International Tiger Day 2025: 29 जुलाई को पूरी दुनिया इंटरनेशनल टाइगर डे मनाती है। ताकि लोग बाघों के संरक्षण को लेकर जागरूक हो सकें। इसी मौके पर जानिए एक ऐसी बाघिन की कहानी, जिसने कभी इंसान पर हमला नहीं किया, बल्कि टूरिस्टों को पोज देती थी।
Queen of Ranthambore : सवाई माधोपुर (राजस्थान). जब भी भारत में बाघों की बात होती है तो बाघिन 'मछली' को जरूर याद किया जाता है, जिसका नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो चुका है। विश्व टाइगर दिवस के मौके पर इस बाघिन को राजस्थान ही नहीं, देशभर से श्रद्धांजलि दी जा रही है। यह मछली केवल एक बाघिन नहीं थी, बल्कि एक प्रतिष्ठित विरासत, एक पर्यावरण योद्धा, और पर्यटन का प्रतीक बन चुकी थी, जो अब हमारे बीच नहीं रही। पिछले साल उसकी मौत हो गई। लेकिन आज उसे याद किया जा रहा है।
कहानी 'रणथंभौर की रानी' मछली की
रणथंभौर नेशनल पार्क की सबसे प्रसिद्ध बाघिन मछली (T-16), जिसने 19 वर्षों तक जंगल पर राज किया, उसे आज भी "लेडी ऑफ लेक" और "रणथंभौर क्वीन" जैसे नामों से याद किया जाता है। उसकी खूबसूरती, शालीनता और टूरिस्ट के प्रति फ्रेंडली बिहेवियर ने उसे दुनिया की सबसे अधिक देखी जाने वाली बाघिन बना दिया। बताया जाता है कि मछली ने कभी किसी इंसान पर हमला नहीं किया, बल्कि उसने टूरिस्टों को ऐसे पोज दिए जैसे किसी वाइल्डलाइफ डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग हो रही हो। भारत सरकार ने 2013 में उसके सम्मान में डाक टिकट तक जारी किया।
पर्यटन और राजस्व में मछली का योगदान
रणथंभौर को पर्यटन की अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर लाने का पूरा श्रेय मछली बागिन को ही जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उसने अपने जीवनकाल में राज्य सरकार को करीब 65 करोड़ रुपये का पर्यटन राजस्व दिलाया। 2014 में जहां रणथंभौर में 5 लाख पर्यटक आते थे, आज यह संख्या 50 लाख सालाना तक पहुंच गई है, वो भी मछली की विरासत के कारण।
मछली ने राजस्थान को बना दिया बाघों का गढ़
मछली के 11 स्वस्थ बच्चों में से कई को सरिस्का टाइगर रिजर्व, कोटा, और बूंदी के जंगलों में ट्रांसलोकेट किया गया, जिससे इन क्षेत्रों में बाघों की पुनर्स्थापना संभव हो सकी। आज मछली की तीसरी पीढ़ी रणथंभौर में फल-फूल रही है, और उसका वंशज परिवार 50 से अधिक बाघों तक पहुंच चुका है।
रणथंभौर में हुआ मछली स्मारक का अनावरण
टाइगर दिवस के मौके पर 29 जुलाई को रणथंभौर के जोन-3 स्थित जोगीमहल गेट पर मछली का भव्य स्मारक वन मंत्री संजय शर्मा ने अनावरण किया। यह स्मारक आने वाली पीढ़ियों को मछली की महानता और संरक्षण योगदान की याद दिलाता रहेगा।
