सार
राजस्थान के श्रीगंगानगर शहर से ऐसी खबर सामने आई है जिसको पढ़कर आप हैरान हो जाएंगे। यहां वकील की दलीले सुनकर लोगों को न्याय देने वाली जज खुद न्याय के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई है। जानिए क्या हो गई वजह की जज को ही पहुंचना पड़ा न्यायालय।
जयपुर. अक्सर हम सुनते हैं कि किसी को भी न्याय दिलाने के लिए वकील और जज न्यायपालिका की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। लेकिन क्या आप कभी सोच सकते हैं कि इन दोनों के बीच ही विवाद हो और विवाद भी ऐसा कि जो खुद ही कोर्ट पहुंच जाए। राजस्थान के जयपुर जिले से एक ऐसा ही अनोखा मामला सामने आया है।
महिला जज ने कोर्ट पहुंच लगाई याचिका
दरअसल श्रीगंगानगर के करणपुर इलाके में कार्यरत एडीजे इंदिरा ने राजधानी जयपुर शहर की फैमिली कोर्ट एक में एक एप्लीकेशन दाखिल की जिसमें उन्होंने बताया कि 24 नवंबर 2007 को उनकी शादी जयपुर के भारत अजमेरा से हुई थी। साल 2010 में दंपति के एक बेटी और उसके पास साल बाद 2015 में एक बेटा हुआ। जन्म होने के बाद से ही दोनों बच्चे अपनी मां के साथ ही रहे जिन्होंने अपने पिता की शक्ल तक नहीं देखी।
सरकारी नौकरी लगते ही बदला युवक का व्यवहार
एप्लीकेशन में एडीजे ने बताया कि शादी होने के बाद से ही उनका पति नौकरी की तलाश कर रहा था। तो महिला जज ने उसे फाइनेंशियल सपोर्ट भी किया। आखिरकार जैसे तैसे वह सरकारी वकील बन गया। लेकिन नौकरी लगने के बाद उसका पूरा का पूरा व्यवहार ही बदल गया। वह घर आना भी छोड़ चुका था। इसके अलावा अपने बच्चों की परवरिश में भी कोई ध्यान नहीं दिया। ऐसे में अब उनके परिवार को भरण-पोषण की राशि मिलनी चाहिए।
कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने का दिया आदेश
हालांकि इस मामले में सरकारी वकील ने भी कोर्ट में अपना जवाब दिया है जिसमें उसने बताया है कि उसकी पत्नी की हर महीने तनख्वाह करीब 2 लाख रुपए है। इसके अलावा उनकी पत्नी ने कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी भी डाली हुई है। ऐसे में प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया जाए। हालांकि कोर्ट ने इस मामले में सरकारी वकील को ही अपने दोनों बच्चों के लिए हर महीने 12-12 हजार रुपए भरण पोषण देने का आदेश दिया है।