Jaisalmer Paleontology : जैसलमेर के मेघा गांव में झील की खुदाई के दौरान डायनासोर जैसी जीवाश्म संरचनाएं मिलीं। विशेषज्ञ जांच में जुटे हैं। यह खोज जैसलमेर को भारत के प्रमुख जीवाश्म स्थलों में और मजबूत कर सकती है।
Jaisalmer News : थार के रेगिस्तान में इतिहास एक बार फिर अपनी परतें खोलता दिख रहा है। जैसलमेर ज़िले के फतेहगढ़ क्षेत्र के मेघा गांव में ग्रामीणों को ऐसे अवशेष मिले हैं जिन्हें देखकर सभी दंग रह गए। झील की सफाई और गहरी खुदाई के दौरान स्थानीय लोगों को हड्डियों जैसी संरचनाएं और पत्थरों पर अजीब छाप दिखाई दी। गांव के बुज़ुर्गों से लेकर युवाओं तक, हर कोई इसे किसी प्राचीन जीव का जीवाश्म मान रहा है।
झील के अंदर पत्थरों पर बने निशान और कंकाल
- सबसे पहले गांव के श्याम सिंह ने इस खोज को गंभीरता से लिया और प्रशासन के साथ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को जानकारी दी। सूचना मिलते ही एसडीएम टीम के साथ मौके पर पहुंचे और झील के भीतर दिख रहे लंबे ढांचे और कंकाल जैसी संरचना का निरीक्षण किया। श्याम सिंह का कहना है कि झील के अंदर पत्थरों पर बने निशान और कंकाल की आकृति किसी जीव की रीढ़ की हड्डी जैसी प्रतीत हो रही है।
- गांव के अन्य लोग भी इस खोज को लेकर बेहद उत्साहित हैं। राम सिंह भाटी ने बताया कि सफाई के दौरान उन्हें लंबी हड्डीनुमा संरचना और पत्थरों पर छाप दिखाई दी। यह किसी बड़े जीव के अवशेष जैसे लगते हैं। ग्रामीणों ने तुरंत तस्वीरें खींचकर प्रशासन और पुरातत्व विभाग को भेजीं।
वैज्ञानिक नजरिए से क्या है संभावना?
- स्थानीय भूवैज्ञानिक नारायण दास इंखिया का मानना है कि यह खोज साधारण नहीं है। उनके अनुसार यहां दिख रही संरचना डायनासोर या अन्य प्राचीन जीवों की हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि पत्थरों पर पंख जैसे निशान देखे गए हैं, जो इसे और रोचक बनाते हैं। हालांकि, अंतिम पुष्टि तभी संभव होगी जब जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) की विशेषज्ञ टीम वैज्ञानिक परीक्षण करेगी।
- विशेषज्ञों के अनुसार जैसलमेर की चट्टानें करीब 18 करोड़ वर्ष पुरानी हैं। भूगर्भीय इतिहास बताता है कि जुरासिक काल में यह क्षेत्र समुद्र और घने जंगलों से घिरा हुआ था, जहां विशालकाय डायनासोर विचरण करते थे।
जैसलमेर में पहले भी मिल चुके हैं सबूत
- जैसलमेर को पहले भी डायनासोर के जीवाश्मों की धरती कहा जा चुका है। थियात गांव में मिले हड्डियों के जीवाश्म से लेकर यहां खोजा गया पदचिह्न और 2023 में मिला डायनासोर का अंडा, इस इलाके को वैज्ञानिक दृष्टि से खास बनाते हैं। अब मेघा गांव की यह खोज जैसलमेर को भारत के प्रमुख जीवाश्म स्थलों में और मज़बूत स्थान दिला सकती है।
- वैज्ञानिकों में जिज्ञासा फिलहाल ग्रामीण इस खोज को लेकर गर्व महसूस कर रहे हैं और वैज्ञानिक इसकी जांच को लेकर उत्साहित हैं। यदि यह सचमुच डायनासोर के अवशेष साबित होते हैं, तो यह जैसलमेर की पांचवीं बड़ी खोज होगी और भारत के पुराजीव विज्ञान (पैलियंटोलॉजी) के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ जाएगा।
