सार
anmashtami 2024 : खाटूश्याम मंदिर में इस बार जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन किए जाएंगे। दुनिया भर से भक्त बाबा के दर्शन के लिए आ रहे हैं। जन्माष्टमी पर विशेष व्यवस्थाओं के तहत रात 10 बजे मंदिर बंद होगा और 12 बजे फिर से खोला जाएगा।
सीकर. पूरी दुनिया में है बाबा के भक्त 26 अगस्त को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव देशभर के मंदिरों में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस विशेष दिन को लेकर सीकर स्थित विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम जी मंदिर में भी भव्य तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस अवसर पर मंदिर में विशेष आयोजन किए जाएंगे।
विदेश से भी जन्माष्टमी पर बाबा के दर्शन करने पहुंचेंगे भक्त
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन खाटू श्याम के भक्त भारत ही नहीं विदेशों से भी बाबा के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। वे रातभर भगवान श्री कृष्ण और बाबा श्याम का कीर्तन कर सकेंगे। मंदिर प्रबंधन ने इसके लिए खास तैयारी की है।
जन्म से दो घंटे पहले बंद हो जाएगा खाटू श्याम मंदिर
कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बाबा श्याम का मंदिर रात 10 बजे के बाद बंद कर दिया जाएगा। इस समय के दौरान बाबा श्याम का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। मध्य रात्रि 12 बजे के बाद मंदिर खोला जाएगा, जहां लखदातार का पंचामृत से स्नान कराया जाएगा और कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर बाबा श्याम की विशेष आरती की जाएगी। इस दौरान पंजीरी, फलों और चरणामृत का वितरण भी किया जाएगा। मंदिर प्रबंधन ने कहा कि जन्माष्टमी के मौके पर खाटूश्याम जी मंदिर में भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। बाबा श्याम को कृष्ण का स्वरूप माना जाता है, जिसके कारण हर साल लाखों श्रद्धालु इस दिन बाबा श्याम के दर्शन करने के लिए आते हैं।
रात 12 बजे के बाद होगा खाटू श्याम का श्रृंगार
श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि साल में दो बार लखदातार की महाआरती होती है। पहली महाआरती बाबा श्याम के जन्मोत्सव पर और दूसरी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर होती है। इन खास मौकों पर रात 12 बजे बाबा श्याम का तिलक और श्रृंगार किया जाता है और इसके बाद मंदिर भक्तों के लिए खोला जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी पर बाबा श्याम को 56 व्यंजनों का भोग
कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर बाबा श्याम को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। इसके अलावा, भक्तों को भगवान श्री कृष्ण के प्रतिरूप बाबा श्याम का पंचामृत और पंजीरी का प्रसाद वितरित किया जाएगा। भक्तों के लिए यह प्रसाद भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
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