सार

किरतपुरा गांव में 3 साल की चेतना 65 घंटों से बोरवेल में फंसी है। चार तकनीकें फेल होने के बाद, अब रेट माइनर्स की मदद ली जा रही है। बच्ची की मां की हालत बिगड़ गई है, पूरा गांव दुआ कर रहा है।

कोटपूतली. राजस्थान के कोटपूतली के किरतपुरा गांव में 3 साल की मासूम चेतना पिछले 65 घंटों से बोरवेल में फंसी हुई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें दिन.रात उसे बचाने में लगी हैं, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल पाई है। बच्ची को निकालने के लिए पाइलिंग मशीन से बोरवेल के पास खुदाई की जा रही है। अब तक 140 फीट खुदाई हो चुकी है, लेकिन चट्टानों के कारण मशीन बदलनी पड़ी, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन दो घंटे तक रुका रहा। अब नई मशीन से काम जारी है। चार दिन में चार तकनीक फेल हो चुकी हैं। इनमें एल शेप हुक तकनीक, अंब्रेला तकनीक, बोरवेल के नजदीक से गहराह तक सुंरग खोदने की तकनीक और पाइलिंग मशीन से खुदाई की तकनीक शामिल है। अब रेट माइनर्स को बुलाया गया है और उनकी मदद ली जा रही है। जिन लोगों ने उत्तराखंड टनल में फंसे लोगों को निकाला था। चेतना सोमवार दोहपर दो बजे सात सौ फीट गहरे बोरवेल में गिरी थी।

आखिर कैसे बाहर आएगी चेतना….

प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी के लिए कलेक्टर कल्पना अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद हैं। कलेक्टर ने बताया कि बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकिए इतने लंबे समय तक सफलता न मिलने पर प्रशासन और बचाव टीमों पर सवाल उठने लगे हैं।

घर में चार दिनों से चूल्हा नहीं जला, सदमें पूरा परिवार

तना के घर में पिछले चार दिनों से चूल्हा नहीं जला है। परिवार के किसी भी सदस्य ने खाना.पीना नहीं किया। बच्ची की मां की तबीयत बिगड़ गई है। डॉक्टरों ने उन्हें ओआरएस का घोल दिया और दवाइयां लिखी हैं। परिवार के लिए यह समय बेहद कठिन है और उनकी दुआएं बच्ची की सलामती के लिए जारी हैं।

ऑक्सीजन पाइप के जरिए हो रही  सप्लाई

बोरवेल में ऑक्सीजन सप्लाई जारी बोरवेल में फंसी बच्ची को ऑक्सीजन पाइप के जरिए सप्लाई की जा रही है। हालांकि, कैमरों में बच्ची की कोई हरकत नजर नहीं आ रही है, जिससे चिंता बढ़ गई है। मौके पर डॉक्टरों की टीम तैनात है, ताकि बच्ची को बाहर निकालते ही तुरंत प्राथमिक उपचार दिया जा सके।

चार दिन से 70 मंजिल गहरे पाताल में फंसी है तीन साल की चेतना

दौसा में आर्यन का हादसा बना चेतावनी यह घटना दौसा के कालीखाड़ गांव में हुए आर्यन हादसे की याद दिलाती है, जहां 9 दिसंबर को बोरवेल में गिरे बच्चे की 57 घंटे बाद भी जान नहीं बचाई जा सकी थी। यह घटना खुले बोरवेल से जुड़े सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। प्रशासन और बचाव टीमें इस बार चेतना को सुरक्षित बचाने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं। पूरा गांव बच्ची की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहा है।

 

यह भी पढ़ें-पाताल में खो गई चेतना? 700 फीट नीचे 2 दिन से फंसी 3 साल की बच्ची, रोका रेस्क्यू