सार

राजस्थान के सांवलिया सेठ मंदिर में हर रोज ₹500000 से ज्यादा का चढ़ावा आता है। मंदिर में जमा राशि से धार्मिक कार्यों के साथ-साथ आसपास के 16 गांवों का विकास भी किया जाता है।

चित्तौड़गढ़, जन्माष्टमी के मौके पर जानिए राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित श्री कृष्ण का मंदिर सांवलिया सेठ की कहानी, जो देश ही नहीं दुनिया में प्रसिद्ध है। मंदिर इतना फेमस है कि दर्शन करने के लिए एक साल में कम से कम दो करोड़ श्रद्धालु यहां आते हैं। श्रीकृष्ण के इस मंदिर में हर दिन ₹500000 से ज्यादा का चढ़ावा आता है। मंदिर के खजाने में कई टन चांदी , सोना, हीरे और जवाहरात रखे हुए हैं। बीते 8 महीनों में ही मंदिर को एक अरब 24 करोड़ रुपये से अधिक चढ़ावा मिल चुका है। सोना, चांदी या हीरा जवाहरात चढ़ाने वाले भक्तों की अभी गिनती इसमें शामिल नहीं है।

श्री कृष्ण के इस मंदिर में चढ़ाने पर कमाई होती है डबल

श्री कृष्ण का यह मंदिर उत्तर भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है , जहां सबसे ज्यादा चढ़ावा आता है। दरअसल, यहां आने वाले अधिकतर बिजनेसमैन और कामकाजी लोग श्री कृष्ण को अपने पार्टनर के रूप में सम्मान देते हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश से आने वाले कई बड़े कारोबारी जिनका अफीम का बिजनेस है, वह भी श्री कृष्ण को 10% से अधिक का पार्टनर मानते हैं । हर महीने कमाई का 10वां हिस्सा मंदिर में चढ़ा जाते हैं।‌

मंदिर के चढ़ावा से ग्रामीण विकास 

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां आने वाले सालाना करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये के चढ़ावा का अधिकांश हिस्सा गांवों के विकास में खर्च किया जाता है। मंदिर में जमा होने वाली इस राशि का एक बड़ा हिस्सा धार्मिक कार्यों और अन्य कार्यों में खर्च होता है। यही नहीं, मंदिर प्रबंधन ने नजदीक के 16 बड़े गांव गोद ले रखे हैं। यहां स्कूल बिल्डिंग , सड़क, बिजली, पानी, कॉलेज , मेडिकल सभी पर होने वाला खर्च मंदिर प्रबंधन की तरफ से ही दिया जाता है। ग्रामीण विकास कार्य या शिक्षा के विकास पर होने वाले इस खर्च के लिए मंदिर की ओर से कई कमेटियां बनाई गई हैं। यह कमेटी सुनिश्चित करती है कि पैसे का सदुपयोग हो। मंदिर की ओर से गरीब एवं पिछड़े लोगों को आर्थिक सहायता के रूप में हर महीने लाखों रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में एक बड़ी गौशाला है, जहां हर रोज हजारों की संख्या में गायों की सेवा की जाती है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी यहां सबसे खास होता है। इस दिन भक्तों का भी रेला लगा रहता है। जन्माष्टमी पर यहां 15 लाख रुपये से अधिक चढ़ावा का अनुमान है।